नयी दिल्ली। प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने रविवार को नवीकरणीय ऊर्जा से कार्बन मुक्त ईंधन पैदा करने के लिये राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन शुरू करने की औपचारिक घोषणा करने के साथ ही आजादी के 100 साल पूरे होने से पहले यानी 2047 तक ऊर्जा के क्षेत्र में देश को आत्मनिर्भर बनाने की घोषणा की। प्रधानमंत्री मोदी ने लाल किले की प्राचीर से 75वें स्वतंत्रता दिवस पर राष्ट्र को संबोधित करते हुए कहा, ‘‘देश की प्रगति और आत्मनिर्भर भारत बनाने के लिए ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर होना अनिवार्य है।’’
उन्होंने कहा कि भारत गैस आधारित अर्थव्यवस्था, गन्ने से प्राप्त एथेनॉल को पेट्रोल में मिलाकर तथा बिजली से चलने वाली रेल, वाहनों के जरिये ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भर बन सकता है। मोदी ने कहा कि ऊर्जा जरूरतों को पूरा करने के लिये हर साल 12 लाख करोड़ रुपये से अधिक खर्च देश को करना पड़ता है। उल्लेखनीय है कि भारत अपनी कुल पेट्रोलियम और दूसरी ऊर्जा जरूरतों का करीब 85 प्रतिशत आयात करता है। वहीं प्राकृतिक गैस के मामले में आधी जरूरतें विदेश से होने वाली आपूर्ति से होती है।
प्रधानमंत्री ने कहा, ‘‘देश की प्रगति और आत्मनिर्भर भारत के लिये ऊर्जा के क्षेत्र में आत्मनिर्भरता जरूरी है। ऊर्जा के मामले में स्वतंत्र होने के लिये भारत को ये संकल्प लेना होगा कि आजादी के 100 साल पूरे होने से पहले देश को ऊर्जा के मामले में आत्मनिर्भर बनाएंगे।’’ उन्होंने कहा कि इसके लिये अर्थव्यवस्था में प्राकृतिक गैस का उपयोग बढ़ाना होगा। पूरे देश में सीएनजी और पाइप के जरिये घरों में पहुंचने वाली प्राकृतिक गैस की आपूर्ति के लिये नेटवर्क का जाल बिछाना होगा। साथ ही पेट्रोल में ऐथनॉल के 20 प्रतिशत मिश्रण और बिजली से चलने वाले वाहनों को बढ़ावा देना होगा।
प्रधानमंत्री ने यह भी कहा कि देश नवीकरणीय ऊर्जा के क्षेत्र में तेजी से आगे बढ़ रहा है और इस क्षेत्र में स्थापित क्षमता समय से पहले एक लाख मेगावाट को पार कर गयी है। मोदी ने कहा कि 2030 तक 4,50,000 मेगावाट नवीकरणीय ऊर्जा क्षमता में से देश एक लाख मेगावाट क्षमता समय से पहले हासिल कर चुका है। प्रधानमंत्री ने राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की भी औपचारिक तौर पर घोषणा की। उन्होंने कहा, ‘‘मैं राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा करता हूं।’’ मोदी ने कहा कि भारत को हरित हाइड्रोजन के उत्पादन के साथ-साथ निर्यात के लिये वैश्विक केंद्र बनाने का लक्ष्य है।
‘‘हरित हाइड्रोजन भारत को अपने लक्ष्यों को हासिल करने में ऊंची छलाग के साथ मददगार होगा।’’ उल्लेखनीय है कि राष्ट्रीय हाइड्रोजन मिशन की घोषणा सबसे पहले इस साल फरवरी में पेश 2021-22 के बजट में की गयी थी। वर्तमान में देश में जो भी हाइड्रोजन की खपत होती है वह जीवाश्म ईंधन से आती है। वर्ष 2050 तक कुल हाइड्रोजन का तीन चौथाई हरित यानी पर्यावरण अनुकूल किये जाने का कार्यक्रम है। इसे नवीकरणीय बिजली और इलेक्ट्रोलायसिस से तैयार किया जायेगा।