Highlights
- सरकार के मुताबिक नई योजनाओं से आयात को कम करने में मदद
- IPA के द्वारा आयोजित पहले वैश्विक इनोवेशन शिखर सम्मेलन -2021 की शुरुआत
नई दिल्ली। केंद्रीय रसायन एवं उर्वरक मंत्री मनसुख मंडाविया ने कहा कि उत्पादन से जुड़ी प्रोत्साहन योजना (पीएलआई) से फार्मा और चिकित्सा उपकरण उद्योग को महत्वपूर्ण दवाओं के मामले में देश को ‘सुरक्षित’ रखने में मदद मिलेगी। इंडियन फार्मास्युटिकल अलायंस (आईपीए) द्वारा आयोजित पहले वैश्विक इनोवेशन शिखर सम्मेलन -2021 के उद्घाटन सत्र को संबोधित करते हुए मंत्री ने कोविड-19 महामारी के बीच दवाओं और कोरोना रोधी टीकों की आपूर्ति में महत्वपूर्ण भूमिका निभाने के लिए घरेलू फार्मा उद्योग का आभार जताया।
उन्होंने कहा, ‘‘प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने आत्मनिर्भर भारत का दृष्टिकोण दिया है। हाल में हमने दवाइयों और चिकित्सा उपकरणों के लिए अलग-अलग पीएलआई योजनाओं की घोषणा की है। इससे न केवल आयात कम करने में मदद मिलेगी, बल्कि हमें महत्वपूर्ण दवाओं के मामले में सुरक्षित बनने में भी मदद मिलेगी।’’ कोविड-19 महामारी के दौरान उद्योग के प्रयासों की सराहना करते हुए उन्होंने कहा कि भारतीय फार्मा क्षेत्र ने चुनौतीपूर्ण समय में प्रगति की और खुद को 'दुनिया की फार्मेसी' के रूप में साबित किया।
वहीं एक अन्य कार्यक्रम में विदेश मंत्री एस जयशंकर नेकहा कि भारत ने डिजिटल उपकरणों और अधिक उत्पादन क्षमता के संयोजन से कर दिखाया कि प्रति व्यक्ति आय 2,000 डॉलर से कम होने के बावजूद सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया जा सकता है। जयशंकर ने ब्लूमबर्ग न्यू इकोनॉमी फोरम के दौरान 'ग्रेट पावर कॉम्पिटिशन: द इमर्जिंग वर्ल्ड ऑर्डर' के मुद्दे पर कहा कि भारत का स्वास्थ्य ढांचा कोविड-19 महामारी के जवाब में विकसित हुआ है । उन्होंने कहा कि जिस समय भारत कोविड-19 महामारी की चपेट में आया, उस समय हमारे यहां केवल दो कंपनियां थीं जो वेंटिलेटर असेंबल कर रही थीं। कोई एन95 मास्क निर्माता कंपनी नहीं थी और चिकित्सा उपकरण बहुत कम थे। उन्होंने कहा, ‘‘इस अवधि के दौरान, हमने बहुत बड़ा विस्तार किया है कोविड-19 के जवाब में स्वास्थ्य का बुनियादी ढांचा बड़े स्तर पर विकसित हुआ है।’’ विदेश मंत्री ने कहा, ‘‘हमने स्वास्थ्य क्षेत्र में परिवर्तन किया है। डिजिटल उपकरणों और अधिक उत्पादन क्षमता के संयोजन से हमने कर दिखाया कि प्रति व्यक्ति आय 2,000 डॉलर से कम होने के बावजूद सार्वजनिक स्वास्थ्य क्षेत्र में बड़ा बदलाव किया जा सकता है।’’