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रोक-जागरुकता के बावजूद फलफूल रहा प्लास्टिक उद्योग, 2025 तक पांच लाख करोड़ पहुंच जाएगा कारोबार

कई राज्यों में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाये जाने तथा इसके इस्तेमाल से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के प्रति लोगों के बीच बढ़ती जागरुकता के बावजूद प्लास्टिक उद्योग को उसका कारोबार 2025 तक दोगुना होकर पांच लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है।

Reported by: Bhasha
Published on: June 27, 2019 8:36 IST
Plastics industry seeks sops to double growth to Rs 5 tln by FY25- India TV Paisa

Plastics industry seeks sops to double growth to Rs 5 tln by FY25

मुंबई। कई राज्यों में प्लास्टिक के इस्तेमाल पर रोक लगाये जाने तथा इसके इस्तेमाल से पर्यावरण को होने वाले नुकसान के प्रति लोगों के बीच बढ़ती जागरुकता के बावजूद प्लास्टिक उद्योग को उसका कारोबार 2025 तक दोगुना होकर पांच लाख करोड़ रुपये हो जाने का अनुमान है। उद्योग जगत ने इसके लिये सरकार से उद्योग को सहारा देने और राहत की मांग की है। इनमें बजट में प्लास्टिक पर आयात शुल्क नहीं बढ़ाना भी शामिल है। 

अखिल भारतीय प्लास्टिक विनिर्माता संघ (एआईपीएमए) के अनुसार अभी प्लास्टिक उद्योग का आकार 2.25 लाख करोड़ रुपये का है। इस उद्योग में 45 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। उसने यहां एक बयान में कहा कि यदि सरकार सही तरीके से समर्थन दे तो प्लास्टिक उद्योग अगले पांच साल में दो गुना होकर पांच लाख करोड़ रुपये का हो जाएगा। 

प्लास्टिक उद्योग ने सरकार से इस क्षेत्र के सूक्ष्म, लघु और मझोले उपक्रमों (एमएसएमई) को समर्थन देने और कच्चे माल पर आयात शुल्क में वृद्धि नहीं किए जाने की मांग की है। वर्ष 2025 तक प्लास्टिक उद्योग के पांच लाख करोड़ रुपये के आंकड़े पर पहुंच जाने की उम्मीद है। अखिल भारतीय प्लास्टिक विनिर्माता संघ (एआईपीएमए) ने यहां बयान में कहा कि अभी प्लास्टिक उद्योग का आकार 2.25 लाख करोड़ रुपये है। इस उद्योग में 45 लाख लोगों को रोजगार मिला हुआ है। 

आयात सीमा शुल्क बढ़ाकर 20 फीसदी करने की मांग

संघ ने कहा कि कच्चे माल पर आयात शुल्क बढ़ाने से आपूर्ति बाधित होगी। इससे देश में 50,000 प्लास्टिक प्रसंस्करणकर्ताओं की लागत प्रतिस्पर्धा पर असर पड़ेगा। एआईपीएमए ने सरकार से प्लास्टिक के तैयार सामान के आयात पर सीमा शुल्क बढ़ाकर 20 प्रतिशत करने की मांग है, जिससे देश में सस्ती और असुरक्षित सामग्री का आयात रुक सके। संघ ने कहा कि इसके अलावा प्लास्टिक के सस्ते तैयार सामान पर डंपिंग रोधी या रक्षोपाय शुल्क लगाया जाना चाहिए। संघ ने कहा है कि कच्चे माल और तैयार सामान के आयात पर सीमा शुल्क में न्यूनतम 12.5 प्रतिशत का अंतर रखा जाना चाहिए ताकि तैयार माल के आयात को हतोत्साहित किया जा सके। 

2022 तक सिंगल यूज प्लास्टिक पर रोक लगाने की योजना

यह उल्लेखनीय है कि महाराष्ट्र, तमिलनाडु, दिल्ली और हिमाचल प्रदेश समेत कई राज्यों ने प्लास्टिक से बने सामानों के इस्तेमाल पर आंशिक रोक लगाई है। केंद्र सरकार की भी 2022 तक एक बार इस्तेमाल होने वाले प्लास्टिक सामानों पर रोक लगाने की योजना है। बता दें कि प्लास्टिक उद्योग का कारोबार ऐसे समय में बढ़ने का अनुमान लगाया जा रहा है जब देश के कई राज्यों में इस पर रोक लगाई जा रही है। 

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