नई दिल्ली। भारतीय स्टेट बैंक (SBI) ने अपनी स्वैच्छिक सेवानिवृत्त योजना की हो रही आलोचना का जवाब देते हुए कहा है कि 2020 के दौरान उसकी 14,000 नई भर्तियां करने की योजना है और उसकी वीआरएस योजना बैंक की लागत में कमी लाना कतई नहीं है। उल्लेखनीय है कि सोमवार को पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने एसबीआई के इस फैसले को क्रूर करार देते हुए था कि ऐसे समय में जब लोग कोरोना वायरस महामारी की दंश झेल रहे हैं, लाखों लोगों की नौकरियां चली गई हैं और भारतीय अर्थव्यस्था बर्बाद होने की स्थिति में है, देश के सबसे बड़े सरकारी बैंक भारतीय स्टेट बैंक द्वारा अपने 30,000 कर्मचारियों को वीआरएस देना सरकार और बैंक की असंवेदनशीलता और क्रूरता है।
देश के सबसे बड़े वाणिज्यिक बैंक भारतीय स्टेट बैंक (एसबीआई) ने इससे पहले एक स्वैच्छिक सेवानिवृत्ति योजना (वीआरएस) पेश की थी। बैंक के लगभग 30,190 कर्मचारी इस योजना के पात्र हैं। अभी (मार्च 2020 तक) एसबीआई में कर्मचारियों की कुल संख्या 2.49 लाख है, जो साल भर पहले 2.57 लाख थी। एसबीआई के प्रवक्ता ने कहा कि प्रस्तावित वीआरएस लागत कम करने के उद्देश्य के लिए नहीं है। बयान में कहा गया है कि बैंक अपने कर्मचारियों का पूरा ख्याल रखता है और यह अपना परिचालन और कर्मचारियों की संख्या बढ़ा रहा है, इस बात का प्रमाण इससे मिलता है कि बैंक इस साल 14000 नए कर्मचारियों की भर्ती करने जा रहा है।
बैंक के बयान में आगे कहा गया है कि वह देश के बेरोजगार युवाओं में कौशल वृद्धि के लिए गंभीरता से प्रयास कर रहा है। बैंक ने कहा कि वह देश में अकेला ऐसा बैंक है जो भारत सरकार की राष्ट्रीय अप्रेंटिसशिप स्कीम के तहत अप्रेंटिसेस की नियुक्ति करता है।
बैंक ने वीआरएस योजना का मसौदा तैयार कर लिया है और निदेशक मंडल की मंजूरी की प्रतीक्षा की जा रही है। प्रस्तावित योजना दूसरी पारी टैप वीआरएस- 2020 का लक्ष्य बैंक की लागत में कमी लाना और मानव संसाधन का अधिकतम इस्तेमाल करना है। यह योजना हर वैसे स्थायी कर्मचारियों के लिए है, जिन्होंने बैंक के साथ काम करते हुए 25 साल बिता दिए हैं या जिनकी उम्र 55 साल है। योजना एक दिसंबर को खुलेगी और फरवरी तक उपलब्ध रहेगी। उसके बाद वीआरएस आवेदन स्वीकार नहीं किए जाएंगे।
प्रस्तावित पात्रता शर्तों के अनुसार, बैंक में कार्यरत 11,565 अधिकारी और 18,625 कर्मचारी योजना के पात्र होंगे। बैंक ने कहा कि अनुमानित पात्र लोगों में से यदि 30 प्रतिशत ने योजना का चयन किया तो जुलाई 2020 के वेतन के हिसाब से बैंक को 1,662.86 करोड़ रुपए की शुद्ध बचत होगी। योजना चुनने वाले कर्मियों को बचे कार्यकाल का 50 प्रतिशत अथवा पिछले 18 महीने में उन्हें कुल वेतन में से जो कम होगा, उसका एकमुश्त भुगतान किया जाएगा। इसके अलावा उन्हें ग्रेच्युटी, पेंशन, भविष्य निधि और चिकित्सा लाभ जैसी सुविधाएं भी मिलेंगी। हालांकि, बैंक यूनियन प्रस्तावित वीआरएस योजना के पक्ष में नहीं हैं।
नेशनल ऑर्गनाइजेशन ऑफ बैंक वर्कर्स के उपाध्यक्ष अश्वनी राणा ने कहा कि एक ऐसे समय में, जब देश कोविड-19 महामारी की चपेट में है, यह कदम प्रबंधन के मजदूर विरोधी रवैये को दर्शाता है।