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पिरामल एंटरप्राइजेज की NCD के जरिए 1,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना

पिरामल एंटरप्राइजेज ने कहा कि वह निजी नियोजन के आधार पर गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (NCD) जारी कर 1,000 करोड़ रुपए जुटाने पर विचार कर रही है।

Abhishek Shrivastava
Published : July 19, 2016 14:31 IST
पिरामल एंटरप्राइजेज की NCD के जरिए 1,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना,  HDFC का बांड साख अनुकूल
पिरामल एंटरप्राइजेज की NCD के जरिए 1,000 करोड़ रुपए जुटाने की योजना, HDFC का बांड साख अनुकूल

नई दिल्‍ली। पिरामल एंटरप्राइजेज ने कहा कि वह निजी नियोजन के आधार पर गैर-परिवर्तनीय डिबेंचर (NCD) जारी कर 1,000 करोड़ रुपए जुटाने पर विचार कर रही है।

पिरामल एंटरप्राइजेज के सूत्रों ने कहा, कंपनी के निदेशक मंडल की प्रशासनिक समिति की बैठक 21 जुलाई 2016 को होगी जिसमें निजी नियोजन के आधार पर 1,000 करोड़ रुपए तक जुटाने के लिए एनसीडी जारी करने के प्रस्ताव पर विचार एवं मंजूरी की योजना है। कंपनी ने हालांकि, यह नहीं बताया कि वह इस धन के साथ क्या करना चाहती है। पिरामल एंटरप्राइजेज लिमिटेड, पीरामल समूह की प्रमुख कंपनी है। इसका कारोबार स्वास्थ्य तथा वित्तीय सेवा खंड में फैला है।

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एचडीएफसी का 3,000 करोड़ रुपए का मसाला बांड इश्यू साख अनुकूल: मूडीज 

एचडीएफसी लिमिटेड की विदेशी बाजारों में जारी रपये में अंकित 3,000 करोड़ रुपए की बांड पेशकश साख के लिए सकारात्मक रही और इससे आईआरएफसी, आरईसी और पीएफसी जैसे सार्वजनिक उपक्रमों समेत इस प्रकार के बांड जारी करने वालों के लिए बेंचमार्क मूल्य निर्धारण में मदद मिलेगी। यह बात आज मूडीज इन्वेस्टर्स सर्विस ने कही।

पिछले सप्ताह आवास वित्त क्षेत्र की प्रमुख कंपनी एचडीएफसी ने कहा कि उसने रुपए में अंकित मूल्य वाले बांड यानी मसाला बांड के जरिए 3,000 करोड़ रुपए जुटाए हैं। इस तरह के बांड जारी कर भारतीय इकाइयां विदेशी पूंजी बाजार से धन जुटा सकती हैं। हालांकि, इन बांड में निवेश करने वालों को मुद्रा का जोखिम भी उठाना होता है। मूडीज ने कहा, यह पेशकश साख अनुकूल है क्योंकि इसे विशेष तौर पर गैर-बैंकिंग वित्तीय कंपनियों (एनबीएफसी) और सार्वजनिक कंपनियों (जीआरआई) समेत अन्य संभावित बांड जारी करने वालों के लिए बेंचमार्क तय करने में मदद मिलेगी। मूडीज ने कहा कि बांड जारी करने वालों की साख का आकलन करने के साथ साथ इन बांड में निवेश करने वाले निवेशक बाजार में नकदी की स्थिति, मुद्रा विनिमय दर में उतार-चढ़ाव और हस्तांतरण लागत आदि पर भी विचार करेंगे।

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