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प्राइवेटाइजेशन के पक्ष में हैं एयर इंडिया के पायलट, लेकिन पहले चाहते हैं अपने बकाए पेमेंट का भुगतान

एयर इंडिया के पायलट इस राष्ट्रीय एयरलाइन के निजीकरण के प्रस्ताव के पक्ष में हैं लेकिन उनका कहना है कि पहले उनके वेतन के बकाए का भुगतान होना चाहिए।

Manish Mishra
Published : June 25, 2017 13:51 IST
प्राइवेटाइजेशन के पक्ष में हैं एयर इंडिया के पायलट, लेकिन पहले चाहते हैं अपने बकाए पेमेंट का भुगतान
प्राइवेटाइजेशन के पक्ष में हैं एयर इंडिया के पायलट, लेकिन पहले चाहते हैं अपने बकाए पेमेंट का भुगतान

नई दिल्ली एयर इंडिया के पायलट इस राष्ट्रीय एयरलाइन के निजीकरण के प्रस्ताव के पक्ष में हैं लेकिन उनका कहना है कि पहले उनके वेतन के बकाए का भुगतान होना चाहिए। गंभीर वित्‍तीय संकट की वजह से एयर इंडिया ने 2012 में वेतन में कटौती का रास्ता अख्तियार किया था। उसके बाद से एयरलाइन के कर्मचारियों का बकाया वेतन बढ़ता जा रहा है। हालांकि कर्मचारियों के एक वर्ग ने संशोधित वेतनमान को स्वीकार कर लिया है।  एयरलाइन के एक वरिष्ठ पायलट के अनुसार एयर इंडिया के करीब 27,000 कर्मचारियों को बकाया का भुगतान किया जाना है। इसमें पायलट और केबिन क्रू सदस्य शामिल हैं। कुल बकाया वेतन करीब 1,200 करोड़ रुपए है जिसमें से 400 करोड़ रुपए अकेले पायलटों का बकाया है।

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करीब दो साल पहले अश्विनी लोहानी ने एयर इंडिया के प्रमुख का पद संभाला था। उस समय उन्होंने आश्‍वासन दिया था कि सभी बकाया का भुगतान चरणबद्ध तरीके से कर दिया जाएगा। अब जबकि सरकार एयरलाइन के पुनरोद्धार के लिए निजीकरण और अन्य उपायों पर विचार कर रही है, तो पायलट चाहते हैं कि इस बारे में कोई फैसला होने से पहले उनके बकाया का भुगतान किया जाए। इंडियन पायलट्स गिल्ड के एक प्रतिनिधि ने कहा, हम एयर इंडिया के निजीकरण का इंतजार कर रहे हैं। यह काफी अच्छी खबर है। हमें उम्मीद है कि एयरलाइन की बागडोर पेशेवर प्रबंधन संभालेगा। हम ऐसे वातावरण में काम करना चाहते हैं जिसमें सरकार का हस्तक्षेप कम से कम हो। उन्होंने कहा कि निजीकरण से पहले हमारे बकाया का भुगतान किया जाना चाहिए।

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गिल्ड में बड़े आकार के विमानों के पायलट भी शामिल हैं। गिल्ड के सदस्यों की संख्या 500 है। इसी तरह की राय जताते हुए इंडियन कमर्शयिल पायलट एसोसिएशन (आईसीपीए) के प्रतिनिधि ने कहा कि पेशेवर प्रबंधन से एयरलाइन के पुनरोद्धार में मदद मिलेगी। यदि एयर इंडिया का निजीकरण होता है तो हम अपने बकाए का मुद्दा उठाएंगे।

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