नई दिल्ली। फ्लिपकार्ट की स्वामित्व वाली डिजिटल भुगतान कंपनी फोनपे को अपनी मूल कंपनी से करीब 585.66 करोड़ रुपए की पूंजी मिली है। बिजनेस रिसर्च प्लेटफॉर्म टॉफ्लर के पास उपलब्ध दस्तावेज के अनुसार फोनपे प्राइवेट लिमिटेड, सिंगापुर को 13,81,278 शेयर आवंटित किए गए और कुल 5,85,66,18,720 रुपए का भुगतान किया गया है।
कंपनी ने इस निवेश पर टिप्पणी करने से मना किया है। फोनपे को इस साल जुलाई में मूल कंपनी से करीब 698 करोड़ रुपए मिले थे। हालिया पूंजी निवेश से फोनपे को भारत में अन्य भुगतान प्लेटफॉर्म जैसे पेटीएम, गूगल पे, अमेजन पे और अन्य से प्रतिस्पर्धा करने में मदद मिलेगी।
फोनपे का घाटा 2018-19 में बढ़कर 1,904.72 करोड़ रुपए हो गया। मार्च 2018 के अंत में यह 791.03 करोड़ रुपए रहा था। हालांकि, उसकी परिचालन से आय 2018-19 में बढ़कर 184.22 करोड़ रुपए हो गई। इससे एक साल पहले यह आंकड़ा 42.79 करोड़ रुपए था।
ग्रोफर्स ने किया विस्तार
ऑनलाइन सुपरमार्केट ग्रोफर्स ने परिचालन का दायरा बढ़ाकर 27 शहरों तक पहुंचा दिया है। इसमें वडोदरा, मेरठ, रोहतक, पानीपत, आगरा और दुर्गापुर शामिल हैं। ग्रोफर्स के सह-संस्थापक और मुख्य कार्यकारी अधिकारी अलबिंदर ढींढसा ने बताया कि इस विस्तार के साथ, हमारी योजना गैर-मेट्रो शहरों में ग्राहकों तक पहुंचने और उनके लिए विश्वस्तरीय किराने का सामान पेश करने की है।
लोगों के बीच स्मार्टफोन की बढ़ती पैठ ने डिजिटल उपकरणों के उपयोग का रास्ता पहले ही खोल दिया है। हमें उम्मीद है कि हम इस क्षेत्र में अपनी स्थिति मजबूत कर पाएंगे, जैसा कि हमने अपने मौजूदा बाजारों में किया है। ग्रोफर्स की मौजदूगी पहले सिर्फ 14 शहरों तक थी।
साल 2014 में अलबिंदर ढींढसा और सौरभ कुमार ने ग्रोफर्स की स्थापना की थी। बयान में कहा गया है कि पिछले दो साल में ग्रोफर्स का सकल सौदा मूल्य (जीएमवी) बढ़कर 70 करोड़ डॉलर (करीब 4,900 करोड़ रुपए) पर पहुंच गया है।