नई दिल्ली। पेंशन फंड रेग्यूलेटरी एंड डेवपलमेंट अथॉरिटी (पीएफआरडीए) अपना सब्सक्राइबर आधार बढ़ाने के लिए अपने नेशनल पेंशन सिस्टम (एनपीएस) प्रोडक्ट में धन निकासी चरण पर टैक्स छूट देने पर विचार कर रहा है।
मौजूदा एनपीएस में धन निकासी पर टैक्स छूट न होने के कारण इसके प्रति लोगों में रुझान कम बना हुआ है। पीएफआरडीए के सदस्य आरवी वर्मा ने बताया कि पीएफआरडीए ने सराकर से एनपीएस में धन निकासी पर टैक्स छूट की मांग की है। पीएफआरडीए ने बजट पूर्व बैठक में यह प्रस्ताव वित्त मंत्रालय को दिया है।
वर्मा ने कहा कि ईपीएफओ के तहत सेवानिवृत्त फंड के सब्सक्राइबर्स को एनपीएस में आने हेतु प्रोत्साहित करने के लिए पीएफआरडीए सब्सक्राइबर्स को धन निकासी के समय टैक्स छूट देने के पक्ष में है। अभी तक कोई भी सब्सक्राइबर्स एक सेवानिवृत्त फंड से धन निकासी करता है तो उस पर कोई टैक्स देनदारी नहीं होती है। वर्मा ने कहा कि लेकिन एनपीएस का सब्सक्राइबर यदि धन निकासी करता है तो उसे किसी भी प्रकार की टैक्स छूट नहीं मिलती, जो कि इसकी सफलता में एक बड़ी रुकावट है।
एनपीएस में सब्सक्राइबर्स आधार बढ़ाने के लिए पीएफआरडीए दो टैक्स लाभ देना चाहता है। पहला ईपीएफओ की तर्ज पर सेवानिवृत्त फंड से धन निकासी पर मिलने वाली सामान्य टैक्स छूट का लाभ एनपीएस के सब्सक्राइबर्स को भी मिले। दूसरा किसी सेवानिवृत्त फंड से एनपीएस में आने वाले सब्सक्राइबर्स को भी धन निकासी पर टैक्स छूट का लाभ दिया जाए।
वर्मा ने कहा कि हम चाहते हैं कि टैक्स मामले में सभी को एक समान मौका मिले। इससे हमें अपना सब्सक्राइबर्स आधार बढ़ाने में मदद मिलेगी। अक्टूबर के पहले हफ्ते तक एनपीएस सब्क्राइबर्स का आधार एक करोड़ के स्तर को पार कर चुका है, जबकि एनपीएस के तहत संपत्ति प्रबंधन की राशि एक लाख करोड़ रुपए के स्तर को पार कर चुकी है।
इसके अलावा पीएफआरडीए सरकारी और प्राइवेट सेक्टर के लिए एनपीएस में समानता लाने पर भी काम कर रहा है। दोनों ही सेक्टर के निवेशक को पेंशन फंड मैनेजर्स और इन्वेस्टमेंट टूल के चुनाव की आजादी समान रूप से देने पर पीएफआरडीए विचार कर रहा है। अभी तक सरकारी सेक्टर में एनपीएस सब्सक्राइबर्स को अपना फंड मैनेजर चुनने की आजादी नहीं है।
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