दोहा। दुनिया के प्रमुख तेल उत्पादक देशों की कतर में रविवार को हुई बैठक बेनतीजा रही। तेल उत्पादन को स्थिर करने के उद्देश्य से तेल निर्यातक और उत्पादक देशों ने यह बैठक बुलाई थी। बैठक के बाद कतर के ऊर्जा मंत्री मोहम्मद बिन सलेह अल सदा ने कहा कि ओपेक और गैर-ओपेक देश आपस में बातचीत के लिए ‘और समय’ चाहते हैं। बैठक में तेल उत्पादक देशों के समूह ओपेक के अधिकांश सदस्यों और रूस समेत तेल का निर्यात करने वाले अन्य देशों ने हिस्सा लिया। ये सभी देश तेल उत्पादन को स्थिर करने को लेकर एक समझौता चाहते थे, ताकि कच्चे तेल की गिरती कीमतों पर काबू पाया जा सके। हालांकि, अंतिम क्षण में ईरान ने बैठक से से किनारा कर लिया और शामिल नहीं हुआ।
पिछले 18 महीने से भी अधिक समय से अंतरराष्ट्रीय बाजार में कच्चे तेल की कीमतें घट कर लगभग आधी रह गई हैं। ईरान और सऊदी अरब के बीच बढ़ते तनाव की खबर आने से बातचीत शुरुआती दौर में ही संकट पड़ती नजर आ रही थी। ईरान ने बैठक में हिस्सा नहीं लिया। ईरान का कहना है कि वो अपना तेल उत्पादन बढ़ाता रहेगा। ईरान पर इसी साल अंतरराष्ट्रीय प्रतिबंध हटे हैं। दुनिया में सबसे बड़ा तेल निर्यातक देश सऊदी अरब चाहता है कि ईरान समेत ओपेक के सभी सदस्य देश तेल के उत्पादन को स्थिर करें। वहीं ईरान का रुख यह था कि आर्थिक प्रतिबंधों के हटाए जाने के बाद से वह तेल उत्पादन बढ़ाने की जिस नीति का पालन कर रहा है, वह उसे जारी रखेगा।
दोहा बैठक में सउदी अरब और रूस सहित 15 देशों के शीर्ष उर्जा अधिकारी शामिल हुए। कतर के उर्जा और उद्योग मंत्री मोहम्मद बिन सालेह अल सदा ने कहा कि कम से कम 15 तेल उत्पादक राष्ट्र बैठक में शामिल हो रहे हैं। इन देशों का वैश्विक तेल उत्पादन में 73 फीसदी का हिस्सा है। इन देशों का मानना है कि तेल उत्पादन की सीमा तय करने से कच्चे तेल की कीमतों में सुधार लाया जा सकेगा। 2014 की गर्मियों से तेल कीमतों में भारी गिरावट आई है। उस समय कच्चा तेल 100 डॉलर प्रति बैरल पर था। हालांकि कोई भी गंभीरता से उत्पादन कटौती पर बात नहीं कर रहा है।