नई दिल्ली। इजिप्ट (Egypt) के रास्ते भूमध्य सागर और लाल सागर को जोड़ने वाली स्वेज नहर (Suez Canal) समुद्री जहाज के लिए एक महत्वपूर्ण रास्ता है। यह दुनिया के सबसे व्यस्त जलमार्गों में से एक है। मात्रा के मामले में दुनिया के कुल कारोबार में 12 प्रतिशत हिस्सा इसी नहर का है। यह नहर यूरोप और एशिया के बीच सबसे छोटा रास्ता प्रदान करती है। 1869 में निर्मित इस नहर पर इजिप्ट का कब्जा है और मानव-निर्मित इस नहर पर ही इजिप्ट की अर्थव्यवस्था टिकी हुई है। 2020 में इजिप्ट ने स्वेज नहर पर टोल से 5.61 अरब डॉलर का शुल्क प्राप्त किया था।
वैश्विक कारोबार के लिए इतने महत्वपूर्ण जल मार्ग को लेकर इस समय खूब खबरें आ रही हैं। पिछले तीन दिनों से इस नहर में यातायात पूरी तरह से ठप है। एक विशाल समुद्री जहाज मंगलवार को नहर में फंस गया है, जिसकी वजह से यहां यातायात जाम हो गया है।
स्वेज नहर में कैसे लगा जाम?
पनामा का एक कंटेनर शिप जिसका नाम एवर गिवन (Ever Given) है, चीन से माल लेकर नीदरलैंड के रोटरडम जा रहा था। 2018 में निर्मित यह जहाज, जिसकी लंबाई 400 मीटर और चौड़ाई 59 मीटर है, खराब मौसम की वजह से नहर में फंस गया। इस जहाज पर 2 लाख टन माल लदा है और इसके फंसने से दोनों तरह का यातायात पूरी तरह से रुक गया है। इस जहाज का परिचालन करने वाली ताईवान की ट्रांसपोर्ट कंपनी एवरग्रीन मरीन ने कहा है कि अचानक तेज हवा की वजह से जहाज टेड़ा होकर नहर में फंस गया।
विशेषज्ञों का कहना है कि इस फंसे हुए जहाज को निकालने और यातायात को दोबारा चालू करने में अभी और कई दिन लग सकते हैं। स्वेज नहर प्राधिकरण यातायात को सुचारू बनाने के लिए अपने पूरे प्रयास कर रहा है। यूरोप और एशिया के बीच एक अन्य वैकल्पिक रास्ता अफ्रीका से होते हुए जाता है, जो स्वेज नहर की तुलना में काफी लंबा और खर्चीला है। स्वेज नहर में यातायात रुकने का वैश्विक व्यापार पर बहुत बुरी तरह से असर हो रहा है।
Reuters की रिपोर्ट के मुताबिक, यातायात में जरा भी देरी कंटेनर जहाजों और कंटेनर की कमी को पैदा कर सकती है। पूरी दुनिया के कंटेनर जहाजों में से 30 प्रतिशत स्वेज नहर से गुजरते हैं। स्वेज नहर प्राधिकरण के मुताबिक, 2020 में लगभग यहां से प्रतिदिन 19,000 जहाजों ने यात्रा की। इस नहर से 1.17 अरब टन माल पास हुआ।
कच्चे तेल में आया उछाल
स्वेज नहर में यातायात ठप होने से क्रूड ऑयल में उछाल आया है। इसमें करीब तीन फीसदी की तेजी आई है। कच्चा तेल महंगा होने से पेट्रोल-डीजल महंगा हो सकता है। बेस मेटल्स में भी शानदार खरीदारी देखने को मिल रही है। निकेल, एल्युमिनियम और लेड एक-एक फीसदी चढ़े है। जिंक और कॉपर में भी बढ़त पर कारोबार हो रहा है।
सोने-चांदी में निचले स्तरों से खरीदारी लौटी है। सोयाबीन नई ऊंचाई पर दिख रहा है। लेकिन दूसरे सभी खाने के तेलों में मुनाफावसूली है। सोया ऑयल करीब एक परसेंट फिसला है। MCX CPO में डेढ़ परसेंट की गिरावट है। चना और मसालों में भी आज कमजोरी है। धनिया और हल्दी करीब दो-दो परसेंट टूटे हैं। जीरा में भी आधे परसेंट की गिरावट है। नई आवक बढ़ने से चना में भी दबाव है।
कैसे बनी नहर
पहले एशिया से जहाज अफ्रीकी महाद्वीप का पूरा चक्कर लगाकर यूरोप पहुंचते थे। नहर का निर्माण 1859 में शुरू हुआ और शुरुआत में मजदूर बेलचों और कुदालियों से काम करते थे। इसके बाद यूरोप से भाप से चलने वाली मशीनें लाई गईं। मजदूरों में हैजा फैलने की वजह से काम रुकता रहा और नहर को पूरा करने में 10 साल लग गए। 1966 में नहर फिर बंद हो गई जब इजरायल ने सिनाई प्रायद्वीप पर कब्जा किया। 1975 में मिस्र के राष्ट्रपति अनवर सादत ने स्वेज कनाल को दोबारा खोला और इजरायल से शांति बहाल की।
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