नई दिल्ली: पेट्रोल डीजल के लेकर 9 महीनों के बाद बड़ी खबर आई है। तेल की कीमत में लोगों का बजट बिगाड़ रहा है। लेकिन अब इसपर एक और बड़ा अपडेट जारी हुआ है। दरअसल कोविड-19 की वजह से राज्यों में लगे लॉकडाउन में ढील के साथ भारत में जून में ईंधन की मांग फिर से बढ़ गयी। इससे पहले मई में नौ महीनों में ईंधन की मांग सबसे कम रही थी। पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय के पेट्रोलियम योजना एवं विश्लेषण प्रकोष्ठ (पीपीएसी) के आंकड़े के मुताबिक जून, 2020 के मुकाबले इस साल जून में ईंधन की खपत 1.5 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 1.63 करोड़ टन रही। जून में पेट्रोल की बिक्री सालाना आधार पर 5.6 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 24 लाख टन थी।
मई के 19.9 लाख टन की बिक्री से यह 21 प्रतिशत की वृद्धि है। देश में सबसे ज्यादा इस्तेमाल किए जाने वाले ईंधन डीजल की बिक्री मई से 12 प्रतिशत बढ़कर 62 लाख टन हो गयी लेकिन यह जून, 2020 से 1.5 प्रतिशत और जून 2019 से 18.8 प्रतिशत कम है। इस साल मार्च के बाद पहली बार किसी महीने में ईंधन की मांग में वृद्धि दर्ज की गयी है।
कोविड-19 की दूसरी लहर के शुरू होने से पहले इस साल मार्च में ईंधन की मांग सामान्य स्तर के आसपास पहुंच गयी थी। लेकिन महामारी का प्रकोप बढ़ने के साथ अलग-अलग राज्यों में लॉकडाउन लगने की वजह से वाहनों की आवाजाही कम हो गयी और साथ ही आर्थिक गतिविधि पर असर पड़ा जिससे ईंधन की मांग कम हो गयी। मई में ईंधन की खपत अगस्त, 2020 के बाद से सबसे कम थी।
महामारी की दूसरी लहर का प्रकोप कम होने के साथ देश के अलग-अलग हिस्सों में लॉकडाउन में ढील दिए जाने की वजह से जून में ईंधन की मांग में तेजी आयी। पिछले महीने तत्कालीन पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने कहा था कि भारत में ईंधन की मांग 2021 के अंत तक महामारी पूर्व के स्तर पर लौट आएगी। इनकी तुलना में रसोई गैस एकमात्र ऐसा ईंधन है जिसकी खपत पहले लॉकडाउन में भी बढ़ी थी। वहीं जून में इसकी बिक्री 9.7 प्रतिशत की वृद्धि के साथ 22.6 लाख टन थी।
जून, 2019 से इसमें 26.3 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी। यात्रा संबंधी रोक की वजह से विमान सेवाओं अभी पूर्ण रूप से चालू नहीं हुई हैं। जून में विमान ईंधन यानी एटीएफ की बिक्री 2,58,000 टन रही। इसमें सालान आधार पर 16.2 प्रतिशत की वृद्धि देखी गयी लेकिन यह जून 2019 की तुलना में 61.7 प्रतिशत कम है। नाफ्था की बिक्री लगभग 3.1 प्रतिशत घटकर 11.9 लाख टन हो गयी, जबकि सड़क बनाने में इस्तेमाल किए जाने वाले बिटुमेन की बिक्री 32 प्रतिशत घटकर 5,09,000 टन हो गयी।