नई दिल्ली। पेट्रोल और डीजल की कीमतों में आने वाले समय में कटौती का दौर देखने को मिल सकता है, रविवार को ही पेट्रोलियम मंत्री ने उम्मीद जताई थी कि आने वाले समय में कीमतों में और कटौती देखने को मिलेगी। इसी बीच सोमवार को भी आम लोगों को तेल कीमतों में बढ़त से राहत देखने को मिली। तेल कंपनियों ने सोमवार को भी तेल कीमतों को स्थिर रखा है।
जानिए क्या है आपके शहर में तेल की कीमतें
दिल्ली में आज यानि 5 अप्रैल को पेट्रोल की कीमत 90.56 रुपये प्रति लीटर और डीजल की कीमत 80.87 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर बनी हुई है।
मुंबई में 5 अप्रैल को पेट्रोल 96.98 रुपये प्रति लीटर और डीजल 87.96 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर बने हुए हैं।
कोलकाता में आज पेट्रोल के दाम 90.77 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम 83.75 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर स्थिर हैं।
चेन्नई में भी आज पेट्रोल के दाम 92.58 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम 85.88 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर बने हुए हैं।
इसी तरह बेंगलुरु में पेट्रोल के दाम 93.59 रुपये प्रति लीटर और डीजल के दाम 85.75 रुपये प्रति लीटर के स्तर पर स्थिर हैं।
शहर पेट्रोल (रुपये प्रति लीटर) डीजल (रुपये प्रति लीटर)
लखनऊ 88.68 81.08
भोपाल 98.58 89.13
जयपुर 97.08 89.35
चंडीगढ़ 87.14 80.57
पटना 92.89 86.12
शिलांग 86.95 80.25
श्रीनगर 93.76 84.40
देहरादून 89.43 81.52
भुवनेश्वर 91.28 88.13
अहमदाबाद 87.72 87.11
रांची 88.07 85.50
शिमला 88.45 80.29
क्या है पेट्रोलियम मंत्री का बयान
पेट्रोलियम मंत्री धर्मेंद्र प्रधान ने रविवार को कहा कि पेट्रोल डीजल और रसोई गैस की कीमतों में अब कटौती की शुरुआत हो चुकी है। आने वाले समय में इसमें और कटौती होगी। उन्होने कहा कि वे पहले ही कह चुके हैं कि जैसे ही विदेशी बाजारों में कीमतों में गिरावट देखने को मिलेगी, हम इसका फायदा आम लोगों तक पहुंचा देंगे।
क्यों हो सकती है आगे कीमतों में कटौती
विदेशी बाजारों में क्रूड की कीमतें गिरने के आसार बन गए हैं। तेल उत्पादक देश कच्चे तेल का उत्पादन बढ़ाने के तैयार हो गए हैं। ओपेक देशों ने कहा कि मई और जून में 3.5 लाख बैरल प्रति दिन तक उत्पादन बढ़ाएंगे। इसके बाद जुलाई 4 लाख बैरल प्रति दिन तक उत्पादन बढ़ाया जाएगा। इसके अलावा सऊदी अरब भी अपने स्तर प्रतिदिन 10 लाख बैरल प्रति दिन तक उत्पादन बढ़ाएगा। इससे कीमतों में कमी आने की उम्मीद बन गई हैं। ओपेक देशों ने पिछले साल ही तेल उत्पादन में भारी कटौती की थी। अब ये देश उत्पादन बढ़ाने से पहले पूरा एहतियात बरत रहे हैं। पिछले साल वैश्विक स्तर पर लॉकडाउन लगने और हर तरह के कारोबार बंद होने के बाद ईंधन की मांग में भारी कमी आई थी।