नई दिल्ली। वैश्विक उपभोक्ता इंटरनेट समूह और टेक्नोलॉजी निवेशक प्रॉसस एनवी (Prosus NV) ने मंगलवार को कहा कि उसकी डिजिटल भुगतान इकाई पेयू (PayU) भारतीय डिजिटल भुगतान प्रदाता बिलडेस्क (Billdesk) का 4.7 अरब डॉलर (करीब 34,376.2 करोड़ रुपये) में अधिग्रहण करेगी। प्रॉसस ने एक बयान में कहा कि पेयू और भारतीय डिजिटल भुगतान प्रदाता बिलडेस्क के शेयरधारकों के बीच बिलडेस्क को 4.7 अरब डॉलर में खरीदने का समझौता हुआ है। बयान में कहा गया कि प्रस्तावित अधिग्रहण से प्रॉसस का भुगतान और फिनटेक व्यवसाय पेयू विश्व स्तर पर अग्रणी ऑनलाइन भुगतान प्रदाताओं में शामिल हो जाएगा।
पेयू की 20 से अधिक उच्च वृद्धि वाले बाजारों में मौजूदगी है और इसकी कुल भुगतान मात्रा (टीपीवी) 147 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक होगी। बयान में कहा गया कि इस लेनदेन के लिए भारतीय प्रतिस्पर्धा आयोग (सीसीआई) से मंजूरी ली जानी है। बिलडेस्क की स्थापना 2000 में हुई थी। प्रॉसस के समूह सीईओ बॉब वैन डिजक ने कहा कि 2005 के बाद से भारत के कुछ सबसे गतिशील उद्यमियों और नए तकनीकी व्यवसायों के साथ सहयोग और भागीदारी के रूप में देश के साथ हमारा एक लंबा और गहरा संबंध है। हमने अब तक भारतीय तकनीक में लगभग छह अरब अमेरिकी डॉलर का निवेश किया है, और इस सौदे के साथ यह आंकड़ा 10 अरब अमेरिकी डॉलर से अधिक हो जाएगा।
उन्होंने कहा कि खाद्य आपूर्ति और शिक्षा प्रौद्योगिकी के साथ ही पेमेंट और फिनटेक क्षेत्र में प्रॉसस मुख्य रूप से ध्यान दे रहा है और भारत हमारा शीर्ष निवेश गंतव्य बना हुआ है। बिलडेस्क के सह-संस्थापक एम एन श्रीनिवासु ने कहा कि कंपनी एक दशक से भी अधिक समय से भारत में डिजिटल भुगतान को बढ़ावा देने में अग्रणी रही है। श्रीनिवासु ने कहा कि प्रॉसस द्वारा किया गया यह निवेश डिजिटल भुगतान के लिए भारत में महत्वपूर्ण अवसर को मान्यता देता है, जो नवाचार और भारतीय रिजर्व बैंक द्वारा स्थापित प्रगतिशील नियामक ढांचे से प्रेरित है।
पेयू इससे पहले भारत में सिट्रसपे, पेसेंस और विबमो का सफलतापूर्वक अधिग्रहण कर चुकी है। नीदरलैंड की प्रॉसस के लिए भारत एक प्रमुख बाजार है और बिलडेस्क सौदा उसका अबतक का सबसे बड़ा निवेश है। प्रॉसस की चीन की टेनसेंट में भी 28.9 प्रतिशत हिस्सेदारी है। महामारी के दौरान बढ़ी हुई मांग ने पूरी दुनिया में पेमेंट उद्योग के विकास को तेज रफ्तार प्रदान की है। पेयू ने वित्त वर्ष 2020-21 में 55 अरब डॉलर के भुगतान को प्रोसेस किया है, जो पिछले वित्त वर्ष की तुलना में 51 प्रतिशत ज्यादा है।
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