नई दिल्ली। भारतीय रिजर्व बैंक (आरबीआई) ने बैंकों से कहा है कि वह बचत खाते में हर तीमाही अथवा इससे कम अवधि में ब्याज का भुगतान करें। अरबीआई के इस कदम से करोड़ों बचत खाता धारकों को फायदा होगा। वर्तमान में, बैंक छमाही आधार पर बचत खातों में ब्याज जमा करते हैं। 1 अप्रैल 2010 से बचत खाते पर ब्याज की गणना प्रतिदिन के आधार पर की जा रही है।
आरबीआई ने 3 मार्च को जारी अपने मास्टर सर्कुलर में कहा है कि घरेलू बचत खाता जमा पर ब्याज का भुगतान तिमाही या इससे कम अवधि में किया जाना चाहिए। सार्वजनिक क्षेत्र के बैंक बचत खातों में जमा राशि पर 4 फीसदी ब्याज देते हैं, जबकि निजी बैंक 6 फीसदी तक ब्याज की पेशकश करते हैं। वर्ष 2011 में आरबीआई ने वाणिज्यिक बैंकों को बचत खाता जमा पर दिए जाने वाले ब्याज को तय करने के लिए स्वतंत्र कर दिया था। नियंत्रित ब्याज दर परिवेश की समाप्ति का यह आखिरी फैसला था। बैंकों को यह आजादी दिए जाने के साथ रिजर्व बैंक ने यह भी कहा कि एक लाख रुपए तक की जमा पर समान ब्याज दर की पेशकश की जानी चाहिए। इससे अधिक राशि की जमा पर बैंकों को अलग-अलग ब्याज देने की अनुमति होगी।
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विश्लेषकों के अनुसार जितनी कम अवधि होगी उतना ही जमा रखने वालों को फायदा होगा। बैंकों को ग्राहकों को अधिक राशि देनी होगी। एक अनुमान के मुताबिक, बचत खाते पर कम अवधि में ब्याज भुगतान करने से बैंकों पर 500 करोड़ रुपए का बोझ पड़ सकता है। इससे पहले बैंक बचत खाते पर 3.5 प्रतिशत की दर से ब्याज देते थे। ब्याज का भुगतान प्रत्येक माह की 10 तारीख से लेकर अंतिम तिथि के बीच सबसे कम जमा राशि के आधार पर किया जाता था।