मुंबई। भारतीय रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने बुधवार को मौद्रिक नीति समिति की बैठक के बाद होने वाले परंपरागत संवाददाता सम्मेलन में सरकार और केंद्रीय बैंक के बीच चल रही कशमकश पर कुछ भी कहने से इनकार कर दिया।
पटेल से इस विषय में तीन सवाल किए गए थे। सरकार की ओर से अब तक कभी नहीं इस्तेमाल की गई रिवर्ज बैंक अधिनियम की धारा-7 के तहत पहली बार आरबीआई को निर्देश दिए जाने और रिजर्व बैंक की कमाई में सरकार के हिस्से को लेकर नियम बनाने जैसे मुद्दों को लेकर उठाए गए संवाददाताओं के सवालों पर उन्होंने कोई टिप्पणी नहीं की।
उन्होंने कहा मैं इन सवालों से बचना चाहूंगा क्योंकि हम यहां मौद्रिक नीति समीक्षा पर चर्चा कर रहे हैं। उन्होंने आरबीआई की स्वायत्तता के विषय में डिप्टी गवर्नर विरल आचार्य के सार्वजनिक रुख और रिजर्व बैंक की आर्थिक पूंजी प्रबंधन नियम के बारे में पूछे गए सवालों को इसी तरीके से टाल दिया।
पटेल ने दिया संकेत, सकारात्मक आंकड़े आने पर घटाएंगे ब्याज दर
भारतीय रिजर्व बैंक ने बुधवार को जारी चालू वित्त वर्ष की पांचवीं द्विमासिक मौद्रिक नीति समीक्षा में नीतिगत दर में कोई बदलाव नहीं किया। हालांकि, रिजर्व बैंक के गवर्नर उर्जित पटेल ने संकेत दिया है कि यदि मुद्रास्फीति के समक्ष संभावित चुनौतियां नहीं आतीं हैं और इसमें वृद्धि नही होती है तो दर में कटौती की जा सकती है।
मुद्रास्फीति के आंकड़ों में हालिया हैरान करने वाली गिरावट पर पटेल ने कहा कि यह टिकाऊ है या नहीं, इसका पता आगे और आंकड़े आने के बाद चलेगा। हालांकि, केंद्रीय बैंक ने चालू वित्त वर्ष की दूसरी छमाही के लिए मुद्रास्फीति के अनुमान को घटाकर 2.7-3.2 प्रतिशत कर दिया है, लेकिन साथ ही खाद्य वस्तुओं के दाम बढ़ने का जोखिम भी बताया है। केंद्रीय बैंक का कहना है कि न्यूनतम समर्थन मूल्य (एमएसपी) में वृद्धि का मुद्रास्फीति, कच्चे तेल के दाम और वैश्विक वित्तीय बाजारों पर असर पड़ेगा।
पटेल ने ब्याज दरों में कटौती का संकेत देते हुए कहा कि यदि मुद्रास्फीति के ऊपर की ओर जाने के जोखिम का हमारा अनुमान सही नहीं रहता है तो इसको लेकर नीतिगत कदम उठाया जा सकता है।