नई दिल्ली। कोरोना संकट की दूसरी लहर की वजह से रिकवरी की उम्मीद कर रहे घरेलू एविएशन सेक्टर को झटका लगा है। जनवरी से अप्रैल के बीच घरेलू एयरलाइंस के यात्रियों की संख्या पिछले साल के मुकाबले 11.56 प्रतिशत घट गयी है। डीजीसीए द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक इस अवधि के दौरान घरेलू एयरलाइंस के यात्रियों की कुल संख्या 2.91 करोड़ रही, जो कि पिछले साल की इसी अवधि के दौरान 3.29 करोड़ थी। डीजीसीए के मुताबिक पिछले साल उड़ानों पर प्रतिबंध की वजह से अप्रैल के आंकड़ों की तुलना संभव नहीं है। हालांकि आंकड़ों के मुताबिक साल के पहले 4 महीनों में अप्रैल में यात्री संख्या में तेज गिरावट दर्ज हुई।
वहीं मार्च के मुकाबले अप्रैल में सभी घरेलू एयरलाइंस का लोड फैक्टर नीचे गिरा है। हालांकि एयरएशिया में गिरावट सबसे कम रही है। मार्च के 65.1 प्रतिशत के लोड फैक्टर के मुकाबले अप्रैल में लोड फैक्टर 64 प्रतिशत पर रहा। वहीं स्पाइस जेट का लोड फैक्टर 76 प्रतिशत से घटकर 71 प्रतिशत से नीचे आ गया। एयर इंडिया की घरेलू उड़ानों में लोड फैक्टर 52 प्रतिशत रहा जो कि एक महीने पहले 70.6 प्रतिशत पर था। वहीं अप्रैल के दौरान उड़ानों के कैंसिलेशन की दर 2.62 प्रतिशत रही। वहीं गो एयर, स्पाइसजेट और स्टार एयर में ये आंकड़ा 1 प्रतिशत से भी कम रहा। तीन चौथाई मामलों में इसके लिये कमर्शियल वजह रही, इसके बाद ऑपरेशनल वजहें दूसरे नंबर पर रहीं।
साल की पहली तिमाही के दौरान घरेलू एयरलाइंस ने हर महीने 77 लाख से ज्यादा यात्रियों को सेवा दी, वहीं अप्रैल में ये आंकड़ा घटकर 58 लाख से नीचे आ गया। फिलहाल मार्केट शेयर के हिसाब से इंडिगो सबसे बड़ी घरेलू एयरलाइन है, जिसके बाद स्पाइसजेट और एय़र इंडिया का नंबर है। अप्रैल के दौरान यात्रियों से जुड़ी कुल 399 शिकायतें दर्ज हुई हैं, इसमें से 75 प्रतिशत रिफंड से जुड़ी हैं। खास बात ये रही कि फरवरी से लेकर मार्च के बीच रिफंड से जुड़ी शिकायतों में तेज बढ़त दर्ज हुई है।
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