नयी दिल्ली। केन्द्र सरकार ने बृहस्पतिवार को कहा कि आयात शुल्क में कटौती किये जाने के बाद खुदरा खाद्य तेल की कीमतों में लगभग 15-20 रुपये प्रति किलोग्राम की गिरावट आने की उम्मीद है। केंद्र ने आठ प्रमुख उत्पादक राज्यों को यह सुनिश्चित करने का निर्देश दिया कि यह लाभ उपभोक्ताओं को दिया जाए, जिससे त्योहारों के दौरान उन्हें बढ़ी हुई तेल कीमतों से राहत मिले।
बुधवार को, सरकार ने कच्चे पाम, सूरजमुखी और सोयाबीन तेलों की किस्मों पर बुनियादी सीमा शुल्क को खत्म कर दिया और खाद्य तेलों की खुदरा कीमतों को कम करने के लिए रिफाइंड खाद्य तेलों पर शुल्क में कटौती की थी। खाद्य मंत्रालय ने एक बयान में कहा, ‘‘ सरकार के इस कदम (खाद्य तेलों पर आयात शुल्क में कटौती) से भारत में खाद्य तेलों की घरेलू कीमतों में कमी आ सकती है। इससे उपभोक्ताओं को 15 से 20 रुपये प्रति किलो खाद्य तेलों का फायदा होगा।’’
मंत्रालय ने सभी प्रमुख खाद्य तेल उत्पादक राज्यों को ‘उचित और तत्काल कार्रवाई’ करने के लिए लिखा है ताकि यह सुनिश्चित किया जा सके कि खाद्य तेलों की कीमतों को आयात शुल्क में कटौती के अनुरूप स्तर पर लाया जाए। राजस्थान, मध्य प्रदेश, महाराष्ट्र, गुजरात, उत्तर प्रदेश, पश्चिम बंगाल, तमिलनाडु और आंध्र प्रदेश को निर्देश जारी किए गए हैं। इसमें कहा गया है ‘‘
राज्य सरकार को अब यह सुनिश्चित करना होगा कि केंद्र द्वारा की गई शुल्क कटौती का पूरा लाभ उपभोक्ताओं को दिया जाए, ताकि खाद्य तेलों की मौजूदा उच्च कीमतों से तत्काल राहत प्रदान की जा सके। मंत्रालय के अनुसार, इससे खाद्य मुद्रास्फीति को कम करने में भी मदद मिलेगी और खाद्य तेलों की कीमतों में लगभग 15-20 रुपये प्रति किलोग्राम की कमी करके आम उपभोक्ताओं को राहत मिलेगी। कटौती के बाद, कच्चे पाम तेल पर प्रभावी सीमा शुल्क 8.25 प्रतिशत है, जबकि कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी तेल पर 5.5 प्रतिशत है। पहले इन तीनों कच्चे माल पर प्रभावी शुल्क 24.75 प्रतिशत था।
चौदह अक्टूबर से प्रभावी आयात शुल्क और उपकर में कटौती 31 मार्च, 2022 तक लागू रहेगी। कच्चे पाम तेल, कच्चे सोयाबीन तेल और कच्चे सूरजमुखी के तेल पर कृषि बुनियादी ढांचा विकास उपकर (एआईडीसी) भी कम किया गया है।