नई दिल्ली। विदेश से लाए गए कालेधन की मात्रा को लेकर वित्त मंत्रालय के जवाब से असंतुष्ट संसद की एक समिति ने कहा कि कालेधन का पता लगाने के बारे में काफी कुछ किए जाने की जरूरत है। वित्त पर संसद की स्थाई समिति ने सुझाव दिया कि मंत्रालय को न्यायमूर्ति एम बी शाह समिति की सिफारिशों को प्राथमिकता के आधार पर लागू करना चाहिए ताकि विदेशों में रखे गए काले धन को समय पर यहां ला जा सके।
एम वीरप्पा मोइली की अध्यक्षता वाली समिति ने कहा कि वस्तु एवं सेवा कर (जीएसटी) के सुचारू क्रियान्वयन को लेकर सरकार को ठोस रूपरेखा और उपयुक्त प्रशासनिक व्यवस्था बनानी चाहिए। राजस्व बढ़ाने के बारे में समिति ने कहा कि वित्त मंत्रालय को कर नीति के बारे में नए विचारों के साथ अगली पीढ़ी के कर सुधारों की दिशा में कदम बढ़ाना चाहिए। कालेधन के बारे में समिति ने कहा कि मंत्रालय को कालाधन को बाहर लाने को लेकर काफी कुछ किए जाने की जरूरत है।
कालेधन के संबंध में 90 दिन की अनुपालन अवधि में 4,147 करोड़ रुपए घोषित किए गए जो पूर्व में घोषित 3,770 करोड़ रुपए से अधिक है। रिपोर्ट के मुताबिक समिति विदेशों से लाए गए कालेधन की मात्रा के संदर्भ में मंत्रालय के अपूर्ण जवाब से संतुष्ट नहीं है। समिति का कहना है कि कालेधन के सृजन पर अंकुश लगाने के लिये नीति, कानून और ठोस प्रवर्तन उपाय किए जाने तथा उसे प्राथमिकता के आधार पर लागू किए जाने की जरूरत है। जीएसटी के बारे में समिति ने कहा, वस्तु एवं सेवा कर के सुचारू क्रियान्वयन को लेकर सरकार को ठोस रूपरेखा और उपयुक्त प्रशासनिक व्यवस्था बनानी चाहिए।