नई दिल्ली। संसद के शीतकालीन सत्र के पहले दिन लोकसभा में चिटफंड (संशोधन) विधेयक, 2019 पेश किया जाएगा। इस विधेयक का मकसद चिटफंड सेक्टर के सुचारु विकास को सुगम बनाते हुए उद्योग जिन बाधाओं से जूझ रहा है उसे दूर करना है। इस विधेयक से चिटफंड योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित होगी और इसके ग्राहकों को सुरक्षा मिलेगी। सरकार इस कानून को चिटफंड (संशोधन) विधेयक 2019 के माध्यम से पारित कराना चाहती है। विधेयक समीक्षा के लिए एक स्थाई समिति के पास भेजा गया था।
चिटफंड (संशोधन) विधेयक 2019 उन 12 लंबित विधेयकों में शामिल है जिन्हें संसद में चर्चा कर पारित करवाने के लिए सूचीबद्ध किया गया है। वर्तमान में संसद में 43 विधेयक लंबित हैं। इनमें से 27 विधेयक पेश करने, विचार करने और पारित करने के लिए सूचीबद्ध किए गए हैं जबकि सात विधेयक वापस लिए जाने हैं।
केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण यह विधेयक पेश करेंगी। केंद्रीय वित्तमंत्री निर्मला सीतारमण चिटफंड अधिनियम 1982 में संशोधन के लिए विधेयक लाएंगी जिस पर विचार करने के बाद उसे पारित करवाने की कोशिश की जाएगी। चिटफंड योजनाओं में पारदर्शिता सुनिश्चित करने के लिए नियम बनाने और उपभोक्ताओं की रक्षा करने के लिए यह विधेयक लंबित है। चिटफंड उद्योग पर नियंत्रण करने के लिए सरकार ने इससे पहले 2018 में यह विधेयक पेश किया था, लेकिन यह पारित नहीं हो सका। विधेयक मार्च 2018 में लोकसभा में पेश किया गया था और बाद में समीक्षा के लिए वित्त मामलों की स्थाई समिति के पास भेजा गया था। हाल के दिनों में ऐसी कई योजनाओं में कई उपभोक्ताओं के परेशानी में फंसने के बाद यह विधेयक लाया गया था।
विधेयक में अधिनियम की धारा-2 के अनुबंध (बी) में 'बंधुत्व फंड' और 'आवर्ती बचत व क्रेडिट संस्थान' जोड़ा गया है जो चिट को परिभाषित करता है। विधेयक में व्यक्ति के लिए निर्धारित कुल चिट राशि की सीमा एक लाख रुपये से बढ़ाकर तीन लाख रुपये और कंपनी के लिए छह लाख रुपये से बढ़ाकर 18 लाख रुपये किया गया है। इसमें 2001 के बाद संशोधन नहीं किया गया है।
विधेयक में खास बात यह है कि इसमें दो ग्राहकों की उपस्थिति या तो व्यक्तिगत रूप से या फोरमैन द्वारा विधिवत रिकॉर्डेड वीडियो कान्फ्रेंसिंग के माध्यम से अनिवार्य किया गया है जैसा कि अधिनियम की धारा 16 की उपधारा (2) के तहत आवश्यक है। देश की घरेलू कारोबार चिटफंड के विनियमन के लिए चिटफंड अधिनियम 1982 लागू किया गया था। चिटफंड परंपरागत रूप से कम आय वाले लोगों की वित्तीय जरूरतों की पूर्ति करता है।
पिछले दिनों चिटफंड कारोबार में गड़बड़ी को लेकर अनके हितधारकों ने चिंता जाहिर की थी जिसके बाद केंद्र सरकार ने चिटफंड पर एक एडवायजरी ग्रुप बनाया था जिसे चिटफंड के मौजूदा कानूनी, विनियामक और संस्थागत फ्रेमवर्क की समीक्षा कर इसे सुचारु करने के लिए सुझाव देने को कहा गया था। इस एडवायजरी ग्रुप ने चिटफंड कारोबार के विकास के लिए इसके विनियामक संबंधी बोझ को कम करने और ग्राहकों के हितों की रक्षा करने के लिए संस्थागत और कानूनी संरचना में सुधार को लेकर अपनी सिफारिशें दी हैं।
ये अध्यादेश भी हो सकते हैं पेश
गौरतलब है कि संसद का शीतकालीन सत्र 13 दिसंबर तक चलेगा। शीतकालीन सत्र के दौरान 26 नवंबर को संविधान दिवस पर दोनों सदनों की एक विशेष संयुक्त बैठक की भी योजना है। सरकार की दो अहम अध्यादेशों पर भी स्वीकृति पाने की योजना है। आयकर अधिनियम, 1961 और वित्त अधिनियम, 2019 में संशोधन को प्रभावी बनाने के लिए सितंबर में एक अध्यादेश जारी किया गया था जिसका उद्देश्य नई एवं घरेलू विनिर्माण कंपनियों के लिए कॉरपोरेट कर की दर में कमी लाकर आर्थिक सुस्ती को रोकना और विकास को बढ़ावा देना है। दूसरा अध्यादेश भी सितंबर में जारी किया गया था जिसमें ई-सिगरेट और इसी तरह के उत्पाद की बिक्री, निर्माण एवं भंडारण पर प्रतिबंध लगाया गया है।