नयी दिल्ली। कृषि राज्य मंत्री परषोत्तम रुपाला ने गुरुवार को कहा कि सरकार को कीटनाशक प्रबंधन और बीज से जुड़े दो बहुप्रतीक्षित विधेयकों के संसद के आगामी सत्र में पारित होने की उम्मीद है। कीटनाशक प्रबंधन विधेयक में कीमत निर्धारित और नियामकीय प्राधिकरण गठित करके कीटनाशक क्षेत्र के नियमन पर जोर दिया गया है। यह विधेयक कीटनाशक कानून 1968 का स्थान लेगा। वहीं बीज विधेयक बीजों के उत्पादन, वितरण और बिक्री को नियमित करने पर जोर देता है। यह बीज कानून 1966 का स्थान लेगा। विधेयक में जीन संवर्द्धित फसलों के प्रावधान होने के कारण विभिन्न तबकों की आलोचना के कारण 2015 में इसे ठंडे बस्ते में डाल दिया गया।
रूपाला ने उद्योग मंडल एसोचैम के कार्यक्रम में कहा, 'हम दो महत्वपूर्ण विधेयकों कीटनाशक प्रबंधन विधेयक और बीज विधेयक पर काम कर रहे हैं। ये काफी समय से लंबित हैं। मुझे उम्मीद है कि ये संसद के अगले सत्र में पारित हो जाएंगे।' सरकार मिलावटी कीटनाशकों और बीजों की बिक्री को लेकर चिंतित हैं। इन विधेयकों का मकसद इस मसले का समाधान करना भी है।
रुपाला ने कहा कि घरेलू बीज उद्योग के पास निर्यात की काफी संभावना है। जैविक उपज के बारे में मंत्री ने कहा कि दुनिया में प्राकृतिक तरीकों से उत्पादित खाद्य पदार्थों की मांग तेजी से बढ़ रही है और भारत एकमात्र देश है जिसके पास इस मांग को पूरा करने की क्षमता है।
उन्होंने कहा कि मुझे भरोसा है कि भारत एकमात्र देश है जिसके पास दुनिया में जैविक उपज की मांग को पूरा करने की क्षमता है। अन्य देशों में उपयुक्त कृषि-जलवायु परिस्थिति नहीं होने के कारण वे जैविक खेती नहीं कर सकते। मंत्री ने कहा कि जैविक उपज की बढ़ती मांग को पूरा करने के लिए किसानों को जागरूक करने की जरूरत है ताकि वे उसके अनुसार उत्पादन कर सके। संसद का शीतकालीन सत्र सामान्य तौर पर नवंबर-दिसंबर में होता है।