नई दिल्ली। फ्यूचर ग्रुप के संस्थापक किशोर बियानी रिटेल कारोबार रिलायंस को बेचने के बाद पहली बार बुधवार को सार्वजनिक रूप से सामने आए। बिजनेस अखबार बिजनेस स्टैंडर्ड की रिपोर्ट के मुताबिक बियानी ने यह स्वीकार्य किया है कि कोविड-19 महामारी और लॉकडाउन की वजह से उनके ऊपर कर्ज का बोझ बढ़ा और राजस्व का नुकसान हुआ, जिसकी वजह से उनके पास रिेटेल बिजनेस को बेचने के अलावा और कोई विकल्प नहीं बचा था।
एक वर्चुअल कॉन्फ्रेंस में बियानी ने कहा कि कोविड-19 की वजह से हम जाल में फंस गए। मैंने ये कभी नहीं सोचा था कि हमारे स्टोर लगातार 3-4 महीने तक बंद रहेंगे, लेकिन ऐसा हुआ। पहले 3-4 माह में हमें 7,000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान हुआ। लॉकडाउन की वजह से बिक्री बंद थी लेकिन हमें तब भी किराये और ब्याज का भुगतान करना पड़ रहा था। बहुत अधिक राजस्व नुकसान के साथ कोई भी कंपनी जिंदा नहीं रह सकती।
बियानी ने कहा कि पिछले 6-7 माह आत्मनिरीक्षण के लिए बहुत अच्छा समय रहा। भारत एक बड़ा देश है और कोई भी पूरे बाजार को कवर नहीं कर सकता है। मैंने महसूस किया है कि छोटा हमेशा अच्छा होता है। पिछले 6-7 सालों में मैंने बहुत अधिग्रहण किए। यह एक गलती थी। मेरे लिए सबसे बड़ी सीख है राष्ट्रीय बनने से बेहतर है लोकल बनने पर ध्यान देना चाहिए। उन्होंने कहा कि एआई, मशीन लर्निंग और डाटा का उपयोग करते हुए डिजिटाइजेशन ही भविष्य है।
बियानी ने कहा कि कोविड संकट अभी खत्म नहीं हुआ है। इसलिए मुझे नहीं पता कि महामारी के बाद वाली दुनिया में रिटेल वर्ल्ड कैसा होगा। लेकिन वर्तमान परिदृश्य को देखते हुए मैं कहना चाहूंगा कि स्टोर में आकर शॉपिंग में कमी आई है, जिससे डिजिटल के लिए राह आसान हुई है। बियानी ने कहा कि रिटेलर्स के लिए इन चुनौतियों का सामना करने की आगे की राह आसान नहीं है।
उन्होंने कहा कि रिटेलर्स को अपने कारोबार को इस तरह डिजाइन करना होगा कि वह अपने लक्ष्य का 90 प्रतिशत लाभ हासिल कर पाएं। वर्तमान संदर्भ में अधिकांश अपने लक्ष्य का 70-80 प्रतिशत भी हासिल नहीं कर पा रहे हैं। यदि महामारी लंबे समय तक चलती है तो यह ऑफलाइन रिटेलर्स के लिए आसान नहीं होगा।
बियानी ने कहा कि रिलायंस इंडस्ट्रीज की रिटेल यूनिट रिलायंस रिटेल से विस्तार के लिए एक महत्वपूर्ण सीख मिली है। 12,000 स्टोर के साथ रिलायंस रिटेल सबसे बड़ा संगठित रिटेलर है। फ्यूचर ग्रुप के रिटेल कारोबार के अधिग्रहण के बाद इसके स्टोर की संख्या 13,500 हो गई है। कंपनी ने हाल में 8.48 प्रतिशत हिस्सेदारी बेचकर निवेशकों से 37,710 करोड़ रुपए की राशि जुटाई है।