पेरिस। विकसित देशों के मंच ओईसीडी ने कहा कि पनामा और कुछ अन्य देशों ने विदेशी खाताधारकों की वित्तीय एवं कर संबंधी सूचनाओं के स्वचालित आदान-प्रदान के लिए अंतरराष्ट्रीय स्तर पर स्वीकृत नियमों का अनुपालन करने की प्रतिबद्धता जताई है। यह बात पनामा दस्तावेजों के खुलासे के बाद कही गई है। इन दस्तावेजों में 2000 भारतीय नाम हैं, जिनके विदेशों में गुप्त खाते हैं। आर्थिक सहयोग एवं विकास संगठन (ओईसीडी) ने पिछले महीने विश्व भर के कर जांचकर्ताओं (अधिकारियों) की बैठक बुलाई थी, ताकि खोजी पत्रकारों के अंतरराष्ट्रीय कंसोर्टियम (आईसीआईजे) द्वारा पनामा की एक विधि सेवा फर्म के डाटा केंद्र से लीक की गई सूचनाओं के बाद कार्रवाई की दिशा तय की जा सके।
यह भी पढ़े- पनामा दस्तावेज अब हुए ऑनलाइन उपलब्ध, 3.6 लाख लोगों के नामों का हुआ खुलासा
ओईसीडी ने पनामा से कहा है कि वह अंतरराष्ट्रीय सहयोग के जरिए कर चोरी पर लगाम लगाने की कोशिश में साथ दे। भारत ने भी एक दिन की इस बैठक में भाग लिया था। ओईसीडी के सचिवालय द्वारा जारी बयान में कहा गया कि ओईसीडी और पारदर्शिता तथा कर संबंधी सूचनाओं के आदान-प्रदान पर वैश्विक मंच ने घोषणा कि है कि बहरीन, लेबनान, नॉरो, पनामा और वेनुआतु ने अब विदेशियों के वित्तीय खातों की सूचनाओं का अन्य देशों के साथ स्वत: आदान-प्रदान के प्रति प्रतिबद्धता जताई है। बयान में कहा गया कि पनामा समेत पांच देशों ने नई प्रतिबद्धता जताई है।
बयान के मुताबिक, विश्व भर के 100 देशों ने ओईसीडी और जी-20 द्वारा तैयार सामान्य नियम सीआरएस के मुताबिक सूचनाओं को साझा करने के प्रति प्रतिबद्धता जताई है। इसमें कहा गया है कि ऐसे आदान-प्रदान सितंबर 2018 से शुरू होंगे। दिल्ली में वित्त मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने कहा कि यह घटनाक्रम महत्वपूर्ण है क्योंकि इन खुलासों की जांच के लिए गठित बहु-एजेंसी समूह (मैग) को मदद मिलेगी। भारत ओईसीडी का पूर्ण सदस्य नहीं है लेकिन वह कर चोरी और मनी लांडरिंग अपराधों से जुड़े उसके नियमों और आचार व्यवहार का अनुपालन करता है।
यह भी पढ़े- पनामा पेपर्स: 2,000 भारतीय लोगों के नाम का हुआ खुलासा, पाकिस्तान के 259 और श्रीलंका के 65 नाम आए सामने