इस्लामाबाद। पाकिस्तान को 15 जनवरी तक अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से राहत पैकेज को मंजूरी मिलने की उम्मीद नहीं दिखती। पाकिस्तानी मीडिया की खबरों के मुताबिक आईएमएफ पाकिस्तान के प्रस्ताव को अपने कार्यकारी बोर्ड को भेजने से पहले चाहता है कि पाकिस्तान सरकार बाह्य क्षेत्र के असंतुलन को दूर करने के लिए और बड़े कदम उठाए।
नकदी की गंभीर समस्या से जूझ रहे पाकिस्तान ने वित्तीय संकट से निकलने के लिए अंतरराष्ट्रीय मुद्राकोष (आईएमएफ) से आठ अरब डॉलर की सहायता मांगी है। एक्सप्रेस ट्रिब्यून ने वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा है कि 20 नवंबर के बाद दोनों पक्षों ने गुरुवार को पहली बार संपर्क किया। 20 नवंबर को मुद्राकोष और पाकिस्तान सरकार के बीच पहली बार राहत पैकेज पर बात हुई थी।
खबर में कहा गया है कि वित्त मंत्री असद उमर और आईएमएफ के वॉशिंगटन स्थित मिशन के प्रमुख हेराल्ड फिंगर ने एक वीडियो लिंक के जरिए बातचीत की। दोनों पक्षों ने पहली बैठक के बाद हुई प्रगति पर चर्चा की।
पिछली बातचीत में बिजली और ब्याज दर बढ़ाने, पाकिस्तानी रुपए के अवमूल्यन और कर संग्रह के लक्ष्यों जैसे दोनों पक्षों की सोच में बड़ा अंतर होने के कारण बात नहीं बन पाई थी। उस समय पाकिस्तानी अधिकारियों ने दावा किया था कि क्रिसमस की छुट्टियों से पहले अधिकारियों के स्तर पर सहमति बन सकती है। उन्होंने कहा था कि पाकिस्तान आईएमएफ से उसकी बोर्ड की अगली बैठक में इस मुद्दे को उठाने का आग्रह कर सकता है। आईएमएफ की अगली बोर्ड बैठक संभावित तौर पर 15 जनवरी को होगी।
मंत्रालय के एक वरिष्ठ अधिकारी ने बताया कि दोनों पक्षों ने गुरुवार को बातचीत के दौरान लचीला रुख रखा और बातचीत अधिक अच्छे माहौल में हुई। वित्त मंत्री ने आईएमएफ के मिशन प्रमुख को रुपए के अवमूल्यन और मौद्रिक नीति के बारे में हुई प्रगति से अवगत कराया। सूत्रों ने बताया कि आईएमएफ ने इन दोनों क्षेत्रों में हुई प्रगति का स्वागत किया लेकिन बाह्य क्षेत्रों के असंतुलन को दूर करने के लिए जरूरी कदम उठाते रहने का आग्रह किया।