इस्लामाबाद। विदेशी मुद्रा संकट से जूझ रहे पाकिस्तान को चालू खाते के घाटे से निपटने के लिए 9 अरब डॉलर की जरूरत है। इसके लिए फिलहाल अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) के पास जाने का कोई निर्णय नहीं लिया गया है। देश के नए वित्त मंत्री असद उमर ने यह बात कही।
पाकिस्तान इस समय मुश्किल आर्थिक दौर से गुजर रहा है। पिछले दस साल के दौरान उसका कुल कर्ज 28,000 अरब रुपए पर पहुंच चुका है। पाकिस्तान तहरीक-ए- इंसाफ पार्टी के नेतृत्व वाली नई सरकार के समक्ष देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने की चुनौती है। पाकिस्तान के आम चुनाव के बाद सत्ता में आई नई सरकार को 12 अरब डॉलर की तुरंत जरूरत है।
पाकिस्तान संसद के उच्च सदन में सवालों का जवाब देते हुए उमर ने कहा कि बजट के मुताबिक हमें 9 अरब डॉलर की जरूरत है, लेकिन हम इसकी जड़ में जाकर समस्या का समाधान करना चाहते हैं कि जिसकी वजह से हमें 9 अरब डॉलर का कर्ज लेने को मजबूर होना पड़ रहा है।
उन्होंने कहा कि देश की अर्थव्यवस्था में सुधार लाने के जो उपाय किए जा रहे हैं, उनका दो से तीन साल में फल मिलने लगेगा। इस बीच देश उधार लेगा। वित्त मंत्री ने कहा कि सरकार फासले को पूरा करने के लिए एक योजना पर काम कर रही है। उन्होंने कहा कि मौजूदा स्थिति से निपटने के लिए आईएमएफ के पास जाने का अभी निर्णय नहीं किया गया है। उन्होंने कहा कि देश में कर आधार को बेहतर बनाने के लिए कर सुधार रणनीति को सबके सामने रखा जाएगा।