इस्लामाबाद। पेरिस स्थित बहुपक्षीय संगठन वित्तीय कार्यवाई बल (एफएटीएफ) ने आतंकवादी संगठनों को धन उपलब्ध कराने के रास्ते बंद करने की पाकिस्तान की योजना को भरोसेमंद नहीं माना है और उसे इस मामले में संदिग्ध देशों की सूची में डाल दिया है। एफएटीएफ को दुनिया में अपराध की कमाई और आतंकवाद के लिए धन के प्रवाह पर रोक के लिए सरकारों की ओर से ठोस उपाय कदम उठाने के लिए बनाया गया है।
पाकिस्तान ने एफएटीएफ के समक्ष हाफिज सईद के संगठन जमात-उद-दावा और उसके सहयोगियों सहित विभिन्न आतंकवादी संगठनों का धन का रास्ता बंद करने के विषय में एक 26 सूत्रीय कार्ययोजना प्रस्तुत की थी। सईद पर 2008 में मुंबई में आतंकवादी हमलों की योजना बनाने के आरोप हैं। पाकिस्तान ने पूरा कूटनीतिक प्रयास किया था कि 37 सदस्य देशों वाले इस निकाय का फैसला उसके खिलाफ न जाए पर वह इसमें नाकाम रहा। इसका पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था और उसकी अंतराष्ट्रीय साख पर असर पड़ सकता है।
आधिकारिक सूत्रों के अनुसार, पेरिस में आयोजित एफएटीएफ के पूर्ण अधिवेशन में कल देर रात यह निर्णय लिया गया। इससे पहले पाकिस्तान के वित्त मंत्री शमशाद अख्तर ने यहां अपने देश का पक्ष रखा। पाकिस्तान की ओर से 15 महीनों की एक कार्ययोजना रखी गई और बताया गया कि उसके यहां मनी लॉन्ड्रिंग और आतंकवादिकयों का धन का रास्ता बंद करने के क्या उपाय किए गए हैं। एफएटीए ने इसके एक दिन बाद अपने निर्णय की घोषणा की।
पाकिस्तान के वित्त मंत्री ने एफएटीएफ से अपने देश पाकिस्तान को संदिग्धों की सूची में न रखने का आग्रह किया था। एफएटीए का अधिवेशन पाकिस्तान द्वारा पेश की गई कार्ययोजना पर कार्यवाही के साथ शुरू हुआ। पाकिस्तान ने ग्रे सूची में खुद को रखने से बचाने के लिए धनशोधन और आतंकवाद के वित्तपोषण को समाप्त करने के लिए उठाए गए अपने कदमों की जानकारी दी। पाकिस्तानी विदेश मंत्रालय के आधिकारिक सूत्रों ने कहा कि पाकिस्तान को आधिकारिक रूप से संदिग्ध सूची में रखना देश के लिए हैरानीपूर्ण नहीं है। उन्होंने कहा कि यह राजनीतिक फैसला है और इसका आतंकवाद के खिलाफ पाकिस्तान के प्रदर्शन से कोई लेना-देना नहीं है।
उन्होंने कहा कि पाकिस्तान इस सूची में एक वर्ष तक या उससे ज्यादा समय तक रहेगा और बाद में पूर्व की तरह बाहर आ जाएगा। 2012 से 2015 तक की अवधि में भी पाकिस्तान को एफएटीएफ की ग्रे सूची में रखा गया था। पाकिस्तान के खिलाफ यह प्रक्रिया फरवरी 2018 में शुरू हुई थी जब एफएटीएफ ने अपने अंतरराष्ट्रीय सहयोग समीक्षा समूह के तहत निगरानी के पाकिस्तान के नामांकन को मंजूरी दी थी। इसे ग्रे सूची के नाम से जाना जाता है। एफएटीएफ का गठन 1989 में धनशोधन, आतंकवादियों के वित्तपोषण पर रोक और अंतरराष्ट्रीय वित्तीय व्यवस्था को अन्य खतरों से बचाने के उपाये करने के लिए किया गया था।