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Pakistan economy turned into a camel without harness, likely to face current account deficit
इस्लामाबाद। पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष के दौरान और अधिक दवाब में आ सकती है और उसे 2021-22 में 12 से 17 अरब डॉलर के चालू खाते घाटा का सामना करना पड़ सकता है। यह बात गुरुवार को प्रधानमंत्री इमरान खान के पूर्व सहयोगी और अनुभवी नौकरशाह वकार मसूद खान ने कही। उन्होंने कहा कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था पर चालू वित्त वर्ष के दौरान दबाव बढ़ जाएगा और 2021-22 में उसे 12 -17 अरब डॉलर के चालू खाते के घाटे का सामना करना पड़ सकता है।
उन्होंने बाहरी मामलों को पाकिस्तान की मुख्य समस्या बताया और 1991 में पूर्व प्रधानमंत्री नवाज शरीफ सरकार द्वारा वित्तीय नियंत्रण को खत्म करने के फैसले को आर्थिक संकटों के लिए जिम्मेदार ठहराया। उन्होंने कहा इसका विनाशकारी प्रभाव अभी भी सामने आ रहा है। अर्थव्यवस्था को उदार बनाने से यह बिना लगाम वाला ऊंट जैसा बन गया है।
समाचार पत्र डॉन की एक रिपोर्ट के अनुसार खान ने बुधवार को कराची स्थित इंस्टीट्यूट ऑफ बिजनेस एडमिनिस्ट्रेशन (आईबीए) में एक पुस्तक विमोचन समारोह में कहा कि पाकिस्तान के भुगतान संकट के गंभीर होने की आशंका है। रिपोर्ट में उनके हवाले से कहा गया कि पाकिस्तान की अर्थव्यवस्था चालू वित्त वर्ष के दौरान भुगतान संतुलन के बढ़ते संकट के कारण दबाव में रहेगी। देश को 2021-22 के लिए 12 अरब अमेरिकी डॉलर से 17 अरब अमेरिकी डॉलर के चालू खाते के घाटे का सामना करना पड़ सकता है।
खान ने कहा कि अंतरराष्ट्रीय मुद्रा कोष (आईएमएफ) कार्यक्रम के फिर से लागू होते ही देश को ब्याज दर, विनिमय दर, कराधान और ऊर्जा नीतियों में बड़े बदलाव की उम्मीद करनी चाहिए। खान ने हाल ही में प्रधानमंत्री के विशेष सहायक (राजस्व और वित्त) का पद छोड़ा है। उन्होंने 2013 से 2017 तक संघीय वित्त सचिव के रूप में कार्य किया।
उन्होंने कहा कि यदि एक्सचेंज रेट को पूरी तरह से स्वतंत्र छोड़ दिया जाए तो यह कहां जाएगा? विदेशी मुद्रा भंडार को बढ़ाने का क्या फायदा होगा अगर एक्सचेंज रेट स्थिर नहीं होगा? खान ने कहा कि पाकिस्तान रुपये का डॉलर के मुकाबले एक्सचेंज रेट लगभग 170 रुपया है वहीं विदेशी मुद्रा भंडार पहली बार बढ़कर 20 अरब डॉलर हुआ है, जो मई में 15 अरब डॉलर था लेकिन तब पाकिस्तानी रुपये का मूल्य डॉलर के सामने 152 रुपया था। मुझे समझ नहीं आता, यह किस तरह का अर्थशास्त्र है।
यदि खान की ये भविष्यवाणी सही साबित होती है, तो यह प्रधानमंत्री इमरान खान द्वारा आर्थिक नीतियों के मोर्चे पर किए गए सभी काम को शून्य कर देगा, जिन्होंने अपने कार्यकाल की शुरुआत 2018 में लगभग 18 अरब डॉलर के बाहरी खाता घाटा के साथ की थी और पिछले तीन साल इसे कम करने पर खर्च किए।
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