इस्लामाबाद। पाकिस्तान की इमरान खान की सरकार अपने तुगलकी फरमान के लिए जानी जाती है। आर्थिक मोर्चे पर पाकिस्तान की हालत तो पहले ही खस्ता थी,वहीं एक तुगलकी फरमान ने देश के कारोबारियों के बीच हाहाकार मचा दिया है। दरअसल दो दिन पहले पाकिस्तान के फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) ने ढाई लाख से अधिक के पेमेंट को अनिवार्य रूप से डिजिटल माध्यम से करने का आदेश दिया था। इस आदेश के चलते कैश के साथ ही चेक के बड़े पेमेंट पर रोक लग गई थी।
हालात यह हैं कि इस आदेश को लागू करते समय यह भी नहीं सोचा गया कि पाकिस्तान में डिजिटल पेमेंट का इंफ्स्ट्रक्चर खस्ता हाल में है। आदेश लागू होने के अगले दो कारोबारी दिनों में कारोबारियों को काफी परेशानी आई। फिर क्या था आनन फानन में FBR नेे यह आदेश 40 दिनों के लिए वापस ले लिया है।
पाकिस्तान के अखबार ट्रिब्यून के अनुयार देश के कर आधार को बढ़ाने के लिए यह बदलाव लागू किया गया था। लेकिन दो दिनों के बाद ही इस आदेश को वापस ले लिया गया। इस व्यवस्था को लागू करने से पहले इसकी तैयारी नहीं की गई। जिसके चलते पाकिस्तान को यह फजीहत झेलनी पड़ी है। नए आदेश में फेडरल बोर्ड ऑफ रेवेन्यू (FBR) ने रविवार को केवल डिजिटल मोड के माध्यम से 250,000 रुपये से अधिक व्यापार-संबंधी भुगतान करने की दो दिन पुरानी नई अनिवार्य कानूनी आवश्यकता को निलंबित करने की घोषणा की।
अनिवार्य डिजिटल भुगतान आवश्यकता को बहस और सामूहिक निर्णय लेने के लिए संसद में बिल लाने के बजाय राष्ट्रपति के अध्यादेश के माध्यम से लागू किया गया था। एक बयान के अनुसार, "एफबीआर कॉरपोरेट करदाताओं को टैक्स कानून (तीसरा संशोधन) अध्यादेश, 2021 के तहत 1 नवंबर, 2021 से प्रभावी भुगतान के डिजिटल मोड पर स्विच करने के लिए 40 दिनों की छूट अवधि की अनुमति देने पर विचार कर रहा है।"
सूत्रों के अनुसार, कानूनी जांच के बाद सोमवार (आज) को अनिवार्य आवश्यकता को रोकने के लिए एक औपचारिक अधिसूचना जारी होने की उम्मीद है। कारोबारियों के अनुसार अगर एफबीआर ने अपने फैसले को निलंबित नहीं किया होता, तो आज पाकिस्तान में कारोबार बंद रहता। एफबीआर ने उल्लेख किया कि कुछ कॉर्पोरेट करदाताओं द्वारा तुरंत डिजिटल तैयारी की कमी के कारण, यह कॉर्पोरेट करदाताओं को 1 नवंबर, 2021 से प्रभावी भुगतान के डिजिटल मोड पर स्विच करने के लिए 40 दिनों की छूट अवधि की अनुमति देने पर विचार कर रहा था।