नई दिल्ली। पाकिस्तान ने अपने तेजी से घटते विदेशी मुद्रा भंडार को मजबूत बनाने के लिए चीन के साथ एक और करार किया है। इस करार के तहत पाकिस्तान चीन के इंडस्ट्रियल एंड कॉमर्शियल बैंक ऑफ चाइना (आईसीबीसी) से 50 करोड़ डॉलर का कर्ज लेगा। एक्सप्रेस ट्रिब्यून की खबर के मुताबिक इस नए कर्ज करार के बाद चीन के वित्तीय संस्थानों का डॉलर के मुकाबले रुपए को मजबूत करने में यह सहयोग सिर्फ तीन महीने में बढ़कर एक अरब डॉलर हो गया है।
रिपोर्ट में वित्त मंत्रालय के सूत्रों के हवाले से कहा गया है कि सरकार ने इस ऋण के लिए 15 जनवरी को 4.5 प्रतिशत की ब्याज दर पर करार किया है। सूत्रों ने कहा कि जनवरी में पाकिस्तान ने कुल 70.4 करोड़ डॉलर का नया कर्ज लिया है। इस तरह वित्त वर्ष के पहले सात माह में ही देश का विदेशी कर्ज 6.6 अरब डॉलर पर पहुंच गया है।
विदेशी ऋण वार्षिक बजट अनुमान के 86 प्रतिशत के बराबर हो गया है, जिसे पिछले साल जून में संसद ने मंजूरी दी थी। इससे यह साफ हो गया है कि विदेशी ऋण लगातार दूसरे साल 10 अरब डॉलर के स्तर को पार कर सकता है। चीन अकेला सबसे बड़ा ऋणदाता है जिसने कुल 1.6 अरब डॉलर का कर्ज दिया है। यह पिछले सात माह में पाकिस्तान द्वारा हासिल किए गए कुल विदेशी ऋण के एक चौथाई के बराबर है। स्टेट बैंक ऑफ पाकिस्तान के सूत्रों ने कहा कि वर्तमान स्तर पर डॉलर-रुपया समानता बनाए रखने के लिए अब भी विदेशी मुद्रा बाजार में हस्तक्षेप किया जा रहा है।
अब तक सिटीबैंक ने 26.7 करोड़ डॉलर, क्रेडिट सूइस एजी ने 25.5 करोड़ डॉलर, स्टैंडर्ड चार्टर्ड बैंक लंदन ने 20 करोड़ डॉलर और दुबई बैंक ने 5.59 करोड़ डॉलर का कर्ज पाकिस्तान को दिया है। यह कर्ज विदेशी मुद्रा भंडार में आ रही गिरावट को रोकने के लिए लिया गया है, जो वर्तमान में 12.8 अरब डॉलर पर है।
आधिकारिक आंकड़ों के मुताबिक पाकिस्तान के विदेशी मुद्रा भंडार में जुलाई से लेकर अब तक 3.5 अरब डॉलर की कमी आ चुकी है। चालू वित्त वर्ष की पहली छमाही में देश का चालू खाता घाटा भी बढ़कर 7.5 अरब डॉलर पर पहुंच गया है। दिसंबर 2017 के मुताबिक पाकिस्तान पर कुल विदेशी कर्ज और देनदारी 88.9 अरब डॉलर की है।