नई दिल्ली। संसद की लोक लेखा समिति (पीएसी) ने नोटबंदी के बाद अर्थव्यवस्था पर पड़े प्रभाव की समीक्षा के लिए जनवरी में रिजर्व बैंक गवर्नर और वित्त मंत्रालय के शीर्ष अधिकारियों को बुलाने का फैसला किया है।
वरिष्ठ कांग्रेसी नेता केवी थॉमस की अध्यक्षता वाली पीएसी के सदस्यों ने आज सर्वसम्मति से यह फैसला किया। समिति ने फैसला किया है कि जनवरी में वह अर्थव्यवस्था की समीक्षा के लिए रिजर्व बैंक गवर्नर उर्जित पटेल, वित्त सचिव अशोक लावसा और आर्थिक मामलों के सचिव शक्तिकांत दास को अपने समक्ष बुलाएगी।
- थॉमस ने बैठक के बाद बताया, इसके लिए तिथि रिजर्व बैंक गवर्नर की उपलब्धता को देखते हुए तय की जाएगी।
- विभिन्न अनुमानों के मुताबिक नोटबंदी की वजह से चालू वित्त वर्ष के दौरान जीडीपी की वृद्धि दर कम रह सकती है।
- हालांकि, विभिन्न अनुमानों में वृद्धि दर 0.5 से लेकर 2 प्रतिशत तक कम रहने की बात कही गई है।
- चालू वित्त वर्ष की दूसरी तिमाही में भारतीय अर्थव्यवस्था की वृद्धि दर 7.3 प्रतिशत रही है। पहली तिमाही में यह 7.1 प्रतिशत रही थी।
- प्रधानमंत्री नरेंद्र मोदी ने 8 नवंबर को 500 और 1,000 रुपए के पुराने नोट चलन से वापस लेने की घोषणा की।
- मुख्य आर्थिक सलाहकार अरविंद सुब्रमण्यम ने कहा कि हमारे पास पहली छमाही के वास्तविक आंकड़े अब उपलब्ध हैं। इनसे अर्थव्यवस्था के प्रदर्शन के मजबूत होने का पता चलता है।
- पर दूसरी छमाही के लिए हमें इंतजार करना होगा, इस मामले में अभी काफी अनिश्चितता है। हमें कुछ भी कहने से पहले स्थिति की समीक्षा करनी होगी।
- पूर्व प्रधानमंत्री मनमोहन सिंह ने पिछले सप्ताह राज्यसभा में नोटबंदी को बड़ी विफलता करार देते हुए कहा था कि इससे जीडीपी वृद्धि में दो प्रतिशत तक कमी आ सकती है।