नई दिल्ली। भारतीय पूंजी बाजारों में भागीदार पत्रों (पी-नोट) के जरिये किया जाने वाला कुल विदेशी निवेश अप्रैल में घटकर एक लाख करोड़ रुपए के स्तर पर आ गया, जो इसका नौ साल का न्यूनतम स्तर है। यह गिरावट ऐसे समय में आई है, जबकि सेबी ने पी-नोट के निवेश मार्ग का दुरुपयोग को रोकने के लिए नियम कड़े किए हैं।
उल्लेखनीय है कि पी-नोट भारत में पंजीकृत विदेशी पोर्टफोलियो निवेशक (एफपीआई) द्वारा उनके ऐसे विदेशी ग्राहकों को जारी किए जाते हैं, जो भारत में निवेश तो करना चाहते हैं पर यहां पंजीकरण नहीं कराना चाहते हैं। भारतीय प्रतिभूति व विनिमय बोर्ड (सेबी) के आंकड़ों के अनुसार भारतीय बाजारों (इक्विटी, ऋण व वयुत्पन्न) में पी-नोट से निवेश का कुल मूल्य अप्रैल के आखिर में 1,00,245 करोड़ रुपए के निचले स्तर पर रहा।
यह पूर्व माह में 1,06,403 करोड़ रुपए था। उससे पहले यह राशि 1,06,760 करोड़ रुपए रही थी। इससे पहले जून 2009 में पी-नोट का निवेश इससे कम था। उस समय इसका स्तर 97,885 करोड़ रुपए था। आलोच्य महीने में पी-नोट के रास्ते शेयरों में निवेश 72,321 करोड़ रुपए रहा। बाकी निवेश ऋण व व्युत्पन्न खंड में हुआ।
जापान की अर्थव्यवस्था दो वर्ष की तेजी के बाद पहली बार गिरी
जापानी अर्थव्यवस्था दो वर्ष में पहली बार जनवरी-मार्च तिमाही में गिरी। आधिकारिक आंकड़ों के अनुसार गिरावट की वजह कमजोर खपत है। जापान के मंत्रिमंडलीय कार्यालय ने कहा अर्थव्यवस्था जनवरी-मार्च तिमाही में इससे पिछली तिमाही की तुलना में 0.2 प्रतिशत गिरी है। वर्ष 2017 के अंत में दुनिया की यह तीसरी सबसे बड़ी अर्थव्यवस्था 0.1 प्रतिशत बढ़ी थी। निजी खपत में पिछले वर्ष की अंतिम तिमाही में 0.2 प्रतिशत की वृद्धि के बाद यह उसी स्तर पर बना रहा।
घरेलू निजी निवेश पिछली तिमाही में 2.7 प्रतिशत की गिरावट के बाद इस तिमाही में 2.1 प्रतिशत और गिर गया। एसएमबीसी निक्को सिक्योरिटीज के मुख्य मार्केट अर्थशास्त्री योशिमासा मारुयामा ने कहा कि जनवरी-फरवरी में भारी बर्फबारी और सब्जियों के दाम बढ़ने से न सिर्फ व्यय योग्य आय में कमी आई है बल्कि निजी खपत भी हुई है।