नयी दिल्ली। कांग्रेस के वरिष्ठ नेता और पूर्व वित्त मंत्री पी. चिदंबरम ने गुरुवार को कहा कि 2012 में तत्कालीन संप्रग सरकार का आरसीईपी देशों के साथ बातचीत का फैसला और 2019 में कांग्रेस की मोदी सरकार को समझौते पर हस्ताक्षर नहीं करने की सलाह देना, दोनों सही हैं। हालांकि दोनों समय के बीच फर्क सिर्फ अर्थव्यवस्था की 'खराब स्थिति' को लेकर है।
पी. चिदंबरम की यह प्रतिक्रिया भारत के क्षेत्रीय व्यापक आर्थिक भागीदारी (आरसीईपी) समझौते में शामिल नहीं होने के फैसले के बाद आई। भारत ने कहा था कि वह आरसीईपी समझौते में शामिल नहीं होगा क्योंकि बातचीत उसके मसलों और चिंताओं को समाधान करने में विफल रही है।
चिदंबरम ने ट्वीट में कहा, "2012 में आरसीईपी देशों के साथ जुड़ने का तत्कालीन संप्रग सरकार का फैसला सही था। 2019 में आरसीईपी समझौते पर सरकार को रोकने और हस्ताक्षर नहीं करने की कांग्रेस की सलाह भी सही है।" पूर्व केंद्रीय मंत्री की तरफ से उनके परिवार ने ट्वीट किया है।
चिदंबरम ने ट्वीट में कहा कि 2012 और 2019 की स्थिति के बीच अंतर अर्थव्यवस्था की खराब हालत है। यह राजग सरकार के अक्षम प्रबंधन की वजह से है। भारत के आरसीईपी में शामिल नहीं होने के फैसले को कांग्रेस ने अपनी जीत बताते हुए कहा कि विपक्ष के जबरदस्त विरोध से भाजपा सरकार को किसानों, डेयरी उत्पादकों, मछुआरों, लघु एवं मझोले उद्योगों के हितों को नुकसान पहुचांने वाले फैसले से पीछे हटना पड़ा।