मुंबई। विवादास्पद आधार को लेकर पूर्व वित्त मंत्री पी चिदंबरम तथा आईटी क्षेत्र के दिग्गज एन आर नारायणमूर्ति के बीच गरमा गरम बहस छिड़ गई। वकील और राजनीतिज्ञ चिदंबरम ने जहां उदारवादी दृष्टिकोण के तहत इस पर चिंता जताई वहीं नारायणमूर्ति ने आधार की वकालत करते हुये निजता के संरक्षण के लिए संसद द्वारा कानून बनाने की वकालत की।
सरकार द्वारा हर चीज को आधार नंबर से जोड़ने के कदम की आलोचना करते हुए चिदंबरम ने कहा कि सरकार इस बारे में हर चीज को अनसुना कर रही है। वह हर चीज को आधार से जोड़ना के खिलाफ कुछ भी सुनना नहीं चाहती है।
नारायणमूर्ति ने आईआईटी-बंबई के वार्षिक मूड इंडिगो फेस्टिवल को संबोधित करते हुए कहा कि किसी भी आधुनिक देश की तरह ड्राइविंग लाइसेंस के रूप में किसी भी व्यक्ति की पहचान स्थापित की जानी चाहिए। इसी के साथ यह भी सुनिश्चित किया जाना चाहिए कि इस तरह की पहचान से किसी की निजता का उल्लंघन न हो।
वहीं चिदंबरम ने कहा कि प्रत्येक लेनदेन के लिए आधार के इस्तेमाल के गंभीर परिणाम होंगे और इससे भारत ऐसे देश में तब्दील हो जाएगा जो समाज कल्याण की दृष्टि से घातक होगा। पूर्व वित्त मंत्री ने कहा कि यदि कोई युवा पुरुष और युवा महिला, बेशक शादीशुदा नहीं हैं और वे निजी छुट्टियों मनाना चाहते हैं, तो इसमें गलत क्या है? यदि किसी युवा व्यक्ति को कंडोम खरीदना है तो उसे अपनी पहचान या आधार नंबर देने की क्या जरूरत है?
चिदंबरम ने सवाल किया कि सरकार को यह क्यों जानना चाहिए कि मैं कौन सी दवाइयां खरीदता हूं, कौन सा सिनेमा देखता हूं, कौन से होटल जाता हूं और कौन मेरे दोस्त हैं। उन्होंने कहा कि यदि मैं सरकार में होता तो मैं लोगों की इन सभी गतिविधियों के बारे में जानने का प्रयास नहीं करता। इस पर नारायणमूर्ति ने कहा कि मैं आपसे सहमत नहीं हूं। आज जिन चीजों की बात कर रहे हैं वे सभी गूगल पर उपलब्ध हैं।
चिदंबरम ने कहा कि उन्होंने अपने बैंक खाते को आधार से नहीं जोड़ा है। उन्होंने कहा कि आधार से खातों को जोड़ने की गतिविधियों को 17 जनवरी तक रोका जाना चाहिए जब 5 न्यायाधीशों की संविधान इस मामले में विभिन्न याचिकाओं की सुनवाई शुरू करेगी।