नई दिल्ली। कोरोना संकट के बीच ऑक्सीजन की कमी से निपटने के लिये भारतीय रेलवे पूरी ताकत से साथ जुटी हुई है। रेल मंत्रालय के द्वारा जारी आंकड़ों के मुताबिक रेल के द्वारा अब तक 884 टैंकरों में लगभग 14500 मीट्रिक टन मेडिकल ऑक्सीजन की सप्लाई की जा चुकी है। इस अभियान के अंतर्गत अब तक 224 ऑक्सीजन एक्सप्रेस की यात्रा पूरी हो चुकी है। वहीं शनिवार शाम तक जारी आंकड़ों के मुताबिक 8 ऑक्सीजन एक्सप्रेस मार्ग में हैं, वहीं कई अन्य अपने सफर पर निकलने की तैयारी कर रही हैं।
जानिये रेलवे ने कहां कहां पहुंचायी मदद
ऑक्सीजन एक्सप्रेस द्वारा जिन 13 राज्यों में ऑक्सीज़न की आपूर्ति अब तक की गई हैं उनमें उत्तराखंड, कर्नाटक, महाराष्ट्र, मध्य प्रदेश, आंध्र प्रदेश, राजस्थान, तमिलनाडु, हरियाणा, तेलंगाना, पंजाब, केरल, दिल्ली तथा उत्तर प्रदेश शामिल हैं। महाराष्ट्र में 614 मीट्रिक टन ऑक्सीजन, उत्तर प्रदेश में लगभग 3463 मीट्रिक टन, मध्य प्रदेश में 566 मीट्रिक टन, दिल्ली में 4278 मीट्रिक टन, हरियाणा में 1698 मीट्रिक टन, राजस्थान में 98 मीट्रिक टन, कर्नाटक में 943 मीट्रिक टन, उत्तराखंड में 320 मीट्रिक टन, तमिलनाडु में 769 मीट्रिक टन, आंध्र प्रदेश में 571 मीट्रिक टन, पंजाब में 153 मीट्रिक टन, केरल में 246 मीट्रिक टन और तेलंगाना में 772 मीट्रिक टन ऑक्सीजन की आपूर्ति की जा चुकी है।
क्या है आगे की योजना
रेल मंत्रालय के मुताबिक सूचना के जारी होने के समय तक 8 ऑक्सीज़न एक्सप्रेस 35 टैंकरों में 563 मीट्रिक टन तरल मेडिकल ऑक्सीजन (एलएमओ) लेकर निर्धारित राज्यों में पहुँचने के लिए अपने मार्ग पर चल रही हैं। वहीं रेलवे ने ऑक्सीज़न की आपूर्ति के लिए नए मार्गों को भी चिन्हित किया है और आपात स्थिति में राज्यों की तरफ से आने वाली किसी भी तरह की मांग को पूरा करने के लिए तैयार है।
करीब 1 महीने पहले हुई शुरुआत
ऑक्सीज़न एक्सप्रेस की शुरुआत 28 दिन पहले 24 अप्रैल को हुई थी और पहली ऑक्सीज़न एक्सप्रेस 126 मीट्रिक टन ऑक्सीज़न के साथ महाराष्ट्र पहुंची थी। ऑक्सीज़न एक्सप्रेस ऑक्सीज़न उत्पादन संयंत्रों से ऑक्सीजन लेकर उन्हें जरूरत की जगहों तक पहुंचा रही है। पश्चिम में हापा, बड़ौदा और मुंद्रा से तो पूरब में राऊरकेला, दुर्गापुर, टाटानगर और अंगुल से ऑक्सीज़न लेकर उसकी आपूर्ति देश के अलग अलग हिस्सों में की जा रही है।
तेज आपूर्ति के लिये खास प्रबंध
आपूर्ति तेज हो इसके लिये रेलवे ने खास प्रबंध किये हैं, ट्रेनों की रफ्तार बढ़ाई गयी है, लंबी दूरी के अधिकतर मामलों में माल गाड़ी की औसत गति 55 किलोमीटर से अधिक रही है। मार्गों को लगातार खोला रखने की कोशिश है, वहीं समय बचाने के लिये चालक दल बदलने जैसी तकनीकी आवश्यकताओं के लिए गाड़ी के स्टॉपेज घटाकर 1 मिनट कर दिया गया है। हालांकि इस पर भी पूरा ध्यान है कि ऑक्सीजन एक्सप्रेस की वजह से दूसरी मालगाड़ियों पर असर न पड़े।