नई दिल्ली। उद्योग जगत के कोरोना वायरस महामारी से निपटने के लिये जतायी गयी कुल प्रतिबद्धता में से आधे से अधिक 4,316 करोड़ रुपये प्रधानमंत्री नागरिक सहायता एवं आपात स्थिति राहत कोष (पीएम केयर्स फंड) में दिये गये। रेटिंग एजेंसी क्रिसिल ने मंगलवार को यह कहा। क्रिसिल फाउंडेशन ने महामारी के दौरान सीएसआर (कंपनी सामाजिक जिम्मेदारी) पर अपनी रिपोर्ट में कहा कि नव-गठित पीएम-केयर्स फंड में 113 शीर्ष कंपनियो का योगदान कोरोना वायरस से जुड़े अन्य राहत कार्यों में दिये गये 3,221 करोड़ रुपये से अधिक है। देश में कोरोना वायरस की महामारी की रोकथाम के लिये ‘लॉकडाउन’ की घोषणा के बाद मार्च में इस फंड की शुरूआत हुई।
पिछले महीने सरकार ने घोषणा की कि पीएम-केयर्स फंड 3,100 करोड़ रुपये विभिन्न उपायों के लिये आवंटित कर रहा है। इसमें 2,000 करोड़ रुपये वेंटिलेटर की खरीद, 1,000 करोड़ रुपये अपने गांवों को लौटने वाले प्रवासी मजदूरों की मदद के लिये तथा 100 करोड़ रुपये की मदद टीके विकास के लिये दिये गये।
क्रिसिल ने कहा कि उसने 130 कंपनियों के सामाजिक क्षेत्र पर व्यय का विश्लेषण किया। इसमें से 113 ने नकद या अन्य रूप से सहायता का संकल्प जताया। उनमें से 84 ने 7,537 करोड़ रुपये का योगदान दिया। इसे सीएसआर खर्च के रूप में वर्गीकृत किया जा सकता है। शेष 29 कंपनियों ने 373 करोड़ रुपये अन्य कोष में दिये। 84 करोड़ रुपये का योगदान स्वैच्छिक दान के रूप में दिये गये जो सीएसआर खर्च की श्रेणी में नहीं आएगा। इसके अलावा मुख्यमंत्री राहत कोष में भी योगदान देने की रिपोर्ट है। उसे सीएसआर खर्च के अंतर्गत नहीं रखा गया है। क्रिसिल रिपोर्ट के अनुसार खर्च करने वाली 84 इकाइयों में 67 प्रतिशत यानी 56 इकाइयां निजी क्षेत्र के हैं और कुल 7,537 करोड़ रुपये के योगदान में उनकी हिस्सेदारी दो तिहाई है। वहीं 24 कपनियां सार्वजनिक क्षेत्र की हैं और उनकी हिस्सेदारी 30 प्रतिशत रही और सात विदेशी कंपनिंयां हैं। नकद में सहायता का संकल्प जताने वाली 84 कंपनियों से 36 महाराष्ट्र से हैं। उनका योगदान 4,728 करोड़ रुपये रहा जो 63 प्रतिशत है। उसके बाद राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली का स्थान रहा। दिल्ली की 13 कंपंनियों ने 17 प्रतिशत का योगदान दिया। जबकि नौ कंपनियां गुजरात की थी जिन्होंने 7,537 करोड़ रुपये में से 7 प्रतिशत का योगदान दिया।
रिपोर्ट के अनुसार इन 84 कंपनियों में से 48 ने कोविड-19 के लिये कंपनी के स्तर पर खर्च किये न कि समूह के स्तर पर। इनमें से 28 ने 2018-19 के कुल सीएसआर खर्च मुकाबले आधे से अधिक व्यय किये। वहीं 16 कंपनियों ने 2018-19 के बराबर या उससे अधिक खर्च किये। कुल सूचीबद्ध 4,817 कंपनियों में से 1,976 अनिवार्य रूप से सीएसआर खर्च के मानदंड को पूरा करते हैं। इसमें ने 1,276 वास्तविक रूप से खर्च करते हैं। वहीं 129 परियोजना की पहचान करने में कठिनाई का हवाला जैसे कारण देते हुए खर्च नहीं कर रहे। 102 ने अपनी सालाना रिपोर्ट में इसका जिक्र नहीं किया है जबकि 150 ने कहा कि उन्हें खर्च करने की जरूरत नहीं है।