नई दिल्ली। विभिन्न बैंकों में पिछले पांच साल में एक लाख करोड़ रुपये से अधिक के 23,000 बैंक धोखाधड़ी के मामले सामने आए। सूचना के अधिकार (RTI) के तहत पूछे गए सवाल के जवाब में रिजर्व बैंक (RBI) ने कहा है कि अप्रैल 2017 से 1 मार्च 2018 तक 5,152 बैंक धोखाधड़ी के मामले सामने आए। 2016-17 में यह आंकड़ा 5,000 से अधिक था। RBI के अनुसार अप्रैल 2017 से 1 मार्च 2018 के दौरान सबसे अधिक 28,459 करोड़ रुपए के बैंक धोखाधड़ी के मामले सामने आए। 2016-17 में 5,076 मामलों में बैंकों के साथ 23,933 करोड़ रुपए की धोखाधड़ी हुई थी।
2013 से 1 मार्च 2018 के दौरान एक लाख रुपए या उससे अधिक के बैंक धोखाधड़ी के कुल 23,866 मामलों का पता चला। आरटीआई से मिले जवाब के अनुसार इन मामलों में कुल 1,00,718 करोड़ रुपए की राशि फंसी हुई है। इसका ब्योरा देते हुए रिजर्व बैंक ने कहा है कि 2015-16 में बैंकों के साथ धोखाधड़ी के 18,698 करोड़ रुपए के 4,693 मामले प्रकाश में आए। 2014-15 में 19,455 करोड़ रुपए के 4,639 मामले पकड़े गए थे।
वित्त वर्ष 2013-14 में बैंकों में कुल 4,306 धोखाधड़ी के मामले सामने आए। इनमें कुल 10,170 करोड़ रुपए की राशि फंसी थी।
ये आंकड़े इस दृष्टि से महत्वपूर्ण हैं कि केंद्रीय जांच एजेंसियां सीबीआई और प्रवर्तन निदेशालय कई बड़े बैंक धोखाधड़ी के मामलों की जांच कर रहा है। इनमें पंजाब नेशनल बैंक का 13,000 करोड़ रुपए का घोटाला भी शामिल है। इस घोटाले का सूत्रधार नीरव मोदी और उसका मामा गीतांजलि जेम्स का प्रवर्तक मेहुल चोकसी है। सीबीआई ने हाल में आईडीबीआई बैंक के साथ 600 करोड़ रुपये की कर्ज धोखाधड़ी का मामला दर्ज किया है।
सरकारी आंकड़ों के अनुसार दिसंबर 2017 तक सभी बैंकों की गैर-निष्पादित परिसंपत्तियां ( एनपीए ) 8,40,958 करोड़ रुपए थीं। सबसे अधिक एनपीए सार्वजनिक क्षेत्र के भारतीय स्टेट बैंक का 2,01,560 करोड़ रुपए था।
वित्त राज्यमंत्री शिव प्रताप शुक्ला द्वारा 9 मार्च को लोकसभा को दी गई जानकारी के अनुसार, इस अवधि तक पंजाब नेशनल बैंक का एनपीए 55,200 करोड़ रुपए, आईडीबीआई बैंक का 44,542 करोड़ रुपए, बैंक ऑफ इंडिया का 43,474 करोड़ रुपए, बैंक आफ बड़ौदा का 41,649 करोड़ रुपए, यूनियन बैंक ऑफ इंडिया का 38,047 करोड़ रुपए, केनरा बैंक का 37,794 करोड़ रुपए, आईसीआईसीआई बैंक का 33,849 करोड़ रुपए था।