नई दिल्ली। Railyatri.in द्वारा किए गए एक अध्ययन में पता चला है कि 10 लाख से अधिक लोग ट्रेन टिकटों की अनुपलब्धता के कारण रोजाना ट्रेन यात्रा नहीं कर पाते हैं। लंबी दूरी की गाड़ियों में मांग-आपूर्ति में भारी अंतर है। मांग और आपूर्ति के भारी अंतर के बावजूद, ट्रेंनें अभी भी यात्रा का सबसे पसंदीदा साधन बनी हुई हैं।
देश भर के ट्रेन यात्रियों से प्राप्त आंकड़ों के आधार पर, अध्ययन में खुलासा किया गया कि लगभग 10-12 लाख संभावित यात्री ऐसे हैं जोकि रोजाना आधार पर कन्फर्म न हुए टिकटों के कारण यात्रा नहीं कर सके। यह वे लोग हैं जिनकी वेटलिस्ट टिकट कन्फर्म नहीं हुए। प्रतिशत के आधार पर देखें तो यह रोजाना लंबी दूरी के ट्रेन यात्रियों का लगभग 13 प्रतिशत है। यात्रा के पीक सीजन में, यह संख्या बढ़कर 19 प्रतिशत पहुंच जाती है।
Railyatri.in के डेटा वैज्ञानिकों ने 3100 रेलवे स्टेशनों पर 2800 गाड़ियों में सीट की तलाश कर रहे 30 लाख से अधिक यात्रियों द्वारा दर्ज ट्रैवेल प्लान का विश्लेषण करने के लिए गणितीय मॉडल का उपयोग किया। प्रिडिक्शन मॉडल का उपयोग कर, Railyatri.in ने अनुमान लगाया है कि इसका समग्र प्रभाव रोजाना आधार पर देश पर पड़ रहा है।
Railyatri.in के सीईओ और सह-संस्थापक मनीष राठी ने कहा कि मांग-आपूर्ति के बीच व्याप्त अंतर बहुत पुराना है, किसी भी देश की अर्थव्यवस्था के पहिये में लोगों के लिए बिना किसी परेशानी के यात्रा करने का सामर्थ्य एक आवश्यक घटक है। परिवहन के विकल्पों में बढ़ोतरी के बावजूद, ट्रेनें अभी भी लंबी दूरी की यात्रा का सबसे पसंदीदा साधन बनी हुई हैं। यह सोचना जरूरी है कि अधिक ट्रेनों का समावेश करना आदर्श समाधान होगा। हालांकि, इसके लिए जरूरी है कि सैकड़ों अतिरिक्त गाड़ियों को प्रतिदिन चलाया जाए। पहले से ओवरलोड नेटवर्क के मद्देनजर निकट भविष्य में और अधिक ट्रेनों को जोड़ने के अवसर कठिन नजर आते हैं।