नई दिल्ली। भारतीय रेल 1,800 ट्रेनों की तुलना में फिलहाल 900 से अधिक मेल और एक्सप्रेस ट्रेनों का संचालन कर रही है। एक संवाददाता सम्मेलन को संबोधित करते हुए रेलवे बोर्ड के अध्यक्ष और सीईओ वीके यादव ने कहा कि लॉकडाउन से पहले 1,800 मेल या एक्सप्रेस ट्रेनों की तुलना में रेलवे फिलहाल 908 ट्रेनों का संचालन कर रहा है। उन्होंने कहा कि यह कुल मेल या एक्सप्रेस ट्रेनों का 50 प्रतिशत है। सीईओ ने कहा कि और 20 विशेष जोड़ी ट्रेन विभिन्न मार्गों पर चलाई जा रही हैं।
यादव ने आगे कहा कि इसके अलावा 566 ट्रेन सेवाओं को 20 अक्टूबर से 30 नवंबर के बीच फेस्टिवल स्पेशल ट्रेनों के रूप में संचालित किया गया। उन्होंने यह भी कहा कि कोलकाता मेट्रो की 238 सेवाएं जुलाई में शुरू की गई थीं, जबकि उपनगरीय 843 सेवाओं की शुरुआत नवंबर में हुई।
उन्होंने कहा कि अभी तक 2,773 मुंबई उपनगरीय सेवाएं संचालित की जा रही हैं। माल ढुलाई सेवाओं पर यादव ने कहा कि मालगाड़ियों ने इस साल नवंबर में 109.68 मिलियन टन भार का परिवहन किया, जो कि पिछले साल की समान अवधि से 10.96 करोड़ टन ज्यादा था। उन्होंने कहा कि राष्ट्रीय ट्रांसपोर्टर को नवंबर में 80.72 लाख टन से अधिक की ज्यादा लोडिंग मिली, जिसके कारण रेलवे को पिछले वर्ष की तुलना में 449.79 करोड़ रुपये अधिक की आय हुई। यादव ने आगे कहा कि रेलवे ने पिछले साल नवंबर में लोड की गई 160 रैक की तुलना में ऑटोमोबाइल के 300 रैक लोड किए, इस प्रकार 87.5 प्रतिशत की वृद्धि दर्ज की गई।
रेलवे अपनी उत्पादन इकाइयों को कंपनियों में बदलने के लिए तैयार करेगी विस्तृत रिपोर्ट
रेल मंत्रालय के तहत आने वाली राइट्स रेलवे की उत्पादन इकाइयों को कंपनियों में बदलने के लिए एक विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी। इन रिपोर्ट पर श्रमिक संगठनों के साथ अगले साल अप्रैल-जून के दौरान चर्चा की जाएगी। रेलवे बोर्ड के चेयरमैन और मुख्य कार्याधिकारी वीके यादव ने मंगलवार को यह जानकारी दी।
भारतीय रेल से जुड़े विभिन्न श्रमिक एवं कर्मचारी संगठन रेलवे की उत्पादन इकाइयों को कॉरपोरेट कंपनियों में बदलने के निर्णय का जोरदार विरोध कर चुके हैं। उनकी चिंता इससे नौकरियों की छंटनी को लेकर है। यादव ने एक प्रेसवार्ता में कहा कि रेलवे की उत्पादन इकाइयों को कंपनियों में बदलने के लिए राइट्स विस्तृत रिपोर्ट तैयार करेगी। एक बार यह तैयार हो जाए फिर इस बारे में श्रमिक संगठनों से बातचीत की जाएगी। फिर देखते हैं कि हम रेलवे कर्मचारियों के पर्याप्त हितों का ध्यान रखते हुए इसे कितना आगे ले जा पाते हैं।
उन्होंने कहा कि संगठनों के साथ दो से तीन महीने अगले साल अप्रैल-जून के बीच बातचीत की जाएगी। यादव ने कहा कि श्रमिक संगठनों और कर्मचारियों के साथ बातचीत के बाद इस विचार पर आगे बढ़ा जाएगा। रेलवे की चितरंजन लोकोमोटिव वर्क्स, इंटीग्रल कोच फैक्टरी, डीजल लोकोमोटिव वर्क्स, डीजल मॉर्डनाइजेशन वर्क्स, व्हील एंड एक्सेल संयंत्र, रेल पहिया संयंत्र, रेल कोच कारखाना और मॉर्डन कोच फैक्टरी को कंपनी में बदलने की योजना है।