नई दिल्ली। ओपेक और उसके साथ जुड़े दूसरे तेल उत्पादक देशों ने एक करोड़ बैरल प्रतिदिन की कटौती को एक महीने और बढ़ाने का फैसला लिया है। उत्पादन में करीब एक करोड़ बैरल प्रतिदिन की कटौती अब जुलाई के अंत तक जारी रहेगी। यह कदम कोरोना वायरस की वजह से पैदा हुई स्थिति को देखते हुए बाजार में स्थिरता लाने की उम्मीद में उठाया गया है। ओपेक देशों और रूस की अगुवाई में ओपेक से बाहर के देशों की शनिवार को वीडियो कॉन्फ्रेंसिंग के जरिये हुई बैठक में यह फैसला किया गया। इस कदम का मकसद उत्पादन को मांग के हिसाब से कम करना है जिससे कीमतों में आ रही गिरावट को थामा जा सके। कोरोना संकट की वजह से कई देशों में लॉकडाउन जैसे हालात बने हुए हैं, जिससे कच्चे तेल की मांग प्रभावित हुई है। उत्पादन में कुल कटौती वैश्विक स्तर पर आपूर्ति का करीब दस प्रतिशत बैठती है। हालांकि, कई देशों ने लॉकडाउन में अब ढील दी है लेकिन कच्चे तेल के बाजार में जोखिम कायम है।
ओपेक के अध्यक्ष एवं अल्जीरिया के पेट्रोलियम मंत्री मोहम्मद अरकब ने चेतावनी दी है कि इस साल के मध्य तक वैश्विक स्तर पर कच्चे तेल का भंडारण बढ़कर 1.
5 अरब बैरल पर पहुंच जाएगा। अरकब ने कहा कि इस दिशा में आज की तारीख तक हुई प्रगति के बावजूद हम अभी अपने प्रयासों में ढील नहीं दे सकते। सऊदी अरब के पेट्रोलियम मंत्री अब्दुलअजीज बिन सलमान ने भी इस बात का समर्थन करते हुए कहा कि आज हम जहां पहुंचे हैं उसके लिए सभी ने प्रयास किया है। सलमान ने कहा कि अप्रैल में जिस दिन अमेरिका का तेल वायदा शून्य से नीचे आया था, तो उन्हें काफी झटका लगा था।