नई दिल्ली। माल एवं सेवा कर (GST) के तहत टैक्स रेट में बड़ा बदलाव करते हुए जीएसटी परिषद ने शुक्रवार को चॉकलेट, च्विंगम, शैम्पू, डियोडोरेंट, जूता पॉलिश, डिटर्जेंट, न्यूट्रिशन ड्रिंक्स, मार्बल और कॉस्मेटिक्स जैसी उपभोक्ता वस्तुओं पर टैक्स की दर को 28 से घटाकर 18 प्रतिशत कर दिया है। जीएसटी परिषद की बैठक के बाद वित्त मंत्री अरुण जेटली ने कहा कि 28 प्रतिशत के टैक्स स्लैब वाली 228 वस्तुओं में से 178 पर अब निचला 18 प्रतिशत का टैक्स लगेगा। बिहार के वित्त मंत्री सुशील मोदी ने परिषद बैठक से इतर पत्रकारों को बताया कि अब जीएसटी में 28 प्रतिशत की श्रेणी में केवल 50 वस्तुओं को रखा गया है।
वित्त मंत्री ने बताया कि डिटर्जेंट, मार्बल फ्लोरिंग और टॉयलेट के कुछ सामानों पर जीएसटी दर 28 से घटाकर 18 प्रतिशत की गई है। 13 उत्पादों पर जीएसटी की दर 18 से घटाकर 12 प्रतिशत की गई। पांच पर यह 18 से पांच प्रतिशत की गई। वहीं छह पर जीएसटी की दर पांच से घटाकर शून्य की गई है। राजस्व सचिव हसमुख अधिया ने कहा कि देरी से जीएसटी दाखिल करने पर शून्य देनदारी वाले करदाताओं पर जुर्माना 200 रुपए से घटाकर 20 रुपए प्रतिदिन किया गया।
सुशील मोदी ने बताया कि पहले 28 प्रतिशत की श्रेणी में 228 वस्तुएं थीं। फिटमेंट कमेटी ने इसमें केवल 62 वस्तुएं ही रखने की सिफारिश की थी लेकिन जीएसटी परिषद ने और अधिक कटौती करते हुए इसमें से और वस्तुओं को भी बाहर कर दिया। अब सभी प्रकार की च्विंगम, चॉकलेट्स, महिलाओं को तैयार होने में उपयोगी कॉस्मेटिक, शेविंग और आफ्टर शेव लोशन, डियोडोरेंट, वॉशिंग पावडर डिटर्जेंट और ग्रेनाइट व मार्बल सस्ते हो जाएंगे। इन सभी उत्पादों को अब 18 प्रतिशत टैक्स श्रेणी में रखा गया है।
अभी यह स्पष्ट नहीं है कि 28 प्रतिशत श्रेणी में केवल हानिकारक और लग्जरी उत्पादों को ही रखा जाएगा। मोदी ने कहा कि आज जीएसटी परिषद ने एक ऐतिहासिक फैसला लिया है, 28 प्रतिशत टैक्स श्रेणी में अब केवल 50 उत्पाद ही शेष रहेंगे जबकि बाकी सभी वस्तुओ को 18 प्रतिशत की श्रेणी में रखा गया है।
पेंट्स, सीमेंट को 28 प्रतिशत श्रेणी में ही रखा गया है। लग्जरी उत्पाद जैसे वॉशिंग मशीन और एयर कंडीशनर को भी 28 प्रतिशत की श्रेणी में बरकरार रखा गया है। लेकिन आम जनता द्वारा उपभोग की जाने वाली वस्तुओं को 18 प्रतिशत की श्रेणी में स्थानांतरित किया गया है। मोदी ने बताया कि जीएसटी परिषद के इस फैसले से सरकार को 20,000 करोड़ रुपए के राजस्व का नुकसान होगा।