नई दिल्ली। फ्लैट खरीदारों को परियोजना के पूरी होने तक उनके बैंक ऋण पर ब्याज, किस्त के भुगतान से राहत देने वाली सबवेंशन स्कीम के तहत अप्रैल-जून तिमाही के दौरान 7,620 फ्लैट वाली केवल 23 आवासीय परियोजनाएं शुरू की गई। संपत्ति के बारे में परामर्श देने वाली एनारॉक ने यह जानकारी दी है।
बिल्डरों की धोखाधड़ी को लेकर चिंतित राष्ट्रीय आवास बैंक (एनएचबी) ने आवास वित्त कंपनियों को इस प्रकार की आवासीय परियोजनाओं के लिए कर्ज उपलब्ध कराने से बचने को कहा था। इस तरह की परियोजनायें आमतौर पर निर्माणाधीन होती हैं। ऐसी परियोजनाओं में बिल्डर मकान खरीदारों को लुभाने के लिए परियोजना के पूरी होने तक खरीदारों के बैंक ऋण पर ब्याज का भुगतान करने का वादा करते हैं। खरीदारों से कहा जाता है कि मकान तैयार होने तक उन्हें बैंक को कुछ नहीं देना है।
कर्ज कि किस्त फ्लैट मिलने के बाद देनी होगी। सामान्य तौर पर बिल्डर फ्लैट का कब्जा देने से पहले तक की अवधि के लिए ब्याज का बोझ उठाते हैं ताकि मकान खरीदारों को किराये के साथ-साथ बैंक ऋण की मासिक किस्त भी नहीं देनी पड़े। एनएचबी के निर्देश के बाद रीयल्टी कंपनियों के शीर्ष संगठन क्रेडाई ने इस निर्णय को वापस लेने की मांग की है क्योंकि इससे न केवल मकान की मांग प्रभावित होगी बल्कि कंपनियों के लिए नकदी पर भी असर होगा। एनारॉक के चेयरमैन अनुज पुरी ने एक रिपोर्ट में कहा कि इस आर्थिक सहयोग योजना पर पाबंदी से निश्चित रूप से क्षेत्र में नकदी का मामला प्रभावित होगा क्योंकि कंपनियां ग्राहकों को आकर्षित करने के लिए अब इसका उपयोग नहीं कर सकेंगी। हालांकि, सीमित संख्या में डेवलपर ही इस कदम से प्रभावित हुए हैं।
रिपोर्ट के अनुसार इस साल अप्रैल-जून के दौरान कुल 280 परियोजनाएं शुरू की गईं। इनमें से केवल 23 परियोजनाएं इस तरह की आर्थिक सहायता योजना के अंतर्गत रखी गई हैं। यह कुल परियोजनाओं का 8 प्रतिशत है। इन 23 परियोजनाओं में मकानों की संख्या 7,620 है, जबकि कुल 69,000 फ्लैट की परियोजनाएं शुरू की गई हैं।
पुरी ने कहा कि हमारे आंकड़े के अनुसार बड़ी परियोजनाओं को इससे फर्क नहीं पड़ा है और वित्तीय संस्थान इस प्रकार की योजनाओं की पेशकश के साथ मुस्तैदी से खड़ी हैं। सबसे ज्यादा मुंबई महानगर क्षेत्र में सबवेंशन योजना पर प्रतिबंध का असर हुआ है। यहां केवल 17 परियोजनाएं ही इस योजना के तहत जारी की गईं। बेंगलुरु में केवल चार आवासीय परियोजनाएं सबवेंशन योजना के तहत लाईं गई जबकि राष्ट्रीय राजधानी दिल्ली में एक और पुणे में भी एक परियोजना इस प्रकार की सहायता योजना के तहत लाई गई।