नई दिल्ली। वस्तु एवं सेवा कर (GST) के तहत केवल 16 प्रतिशत कारोबारियों की ही शुरुआती बिक्री रिटर्न का अंतिम रिटर्न के साथ मेल हो पाया है। राजस्व विभाग ने इसमें संभावित कर चोरी की आशंका को देखते हुए इसका विश्लेषण शुरू कर दिया है। GST रिटर्न के आंकड़ों के अनुसार, जुलाई- दिसंबर के बीच 34 प्रतिशत कारोबारियों ने सरसरी तौर पर भरी गई अपनी शुरुआती रिटर्न (GSTR 3B) भरते समय 34,400 करोड़ रुपए कम कर का भुगतान किया है।
इन कारोबारियों ने GSTR 3B रिटर्न दाखिल करके खजाने में 8.16 लाख करोड़ रुपए का भुगतान किया है जबकि उनके GSTR 1 आंकड़ों का विश्लेषण करने पर पता चलता है कि उनकी कर देनदारी 8.50 लाख करोड़ होनी चाहिए।
राजस्व विभाग के विश्लेषण के मुताबिक, 16.36 प्रतिशत कारोबारियों द्वारा भरी गई शुरुआती संक्षिप्त रिटर्न और कर भुगतान के आंकड़े ही उनकी अंतिम रिटर्न और कर देनदारी से मेल खाती है। उन्होंने कुल 22,014 करोड़ रुपए का कर भुगतान किया है।
हालांकि, आंकड़े यह भी दर्शाते हैं कि GST के तहत पंजीकृत 49.36 प्रतिशत व्यवसायियों ने जुलाई-दिसंबर के दौरान 91,072 करोड़ रुपए का अतिरिक्त कर भुगतान किया है। GST के तहत उन्होंने 6.50 लाख करोड़ रुपए का भुगतान किया है जबकि उनके द्वारा दाखिल GSTR 1 दर्शाता है कि उनकी कर देनदारी 5.59 लाख करोड़ होनी चाहिए।
विभाग ने जुलाई-दिसंबर 2017 के दौरान 51.96 लाख व्यवसायों द्वारा दाखिल किए गए GST आंकड़ों का विश्लेषण किया है। देश में अप्रत्यक्ष कर क्षेत्र में किए गए सुधारों के तहत जीएसटी प्रणाली को एक जुलाई 2017 से लागू किया गया।
ईवाई के भागीदार अभिषेक जैन ने कहा कि GSTR 1 और उसके साथ ही GSTR 3B में जो फर्क दिख रहा है उसके बारे में हालांकि सरकार को विस्तारपूर्वक विश्लेषण करना होगा, इसकी एक वजह यह भी हो सकती है कि इसमें GSTR 1 में क्रेडिट-डेबिट नोट को संज्ञान में नहीं लिया गया जिसे कि GSTR 3B के आंकड़ों में शामिल किया गया।