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Be careful: नकली और तस्‍करी का सामान बिक रहा है ऑनलाइन, इकोनॉमी के साथ राष्‍ट्रीय सुरक्षा के लिए है खतरा

फि‍क्‍की और ग्रांट थॉरन्‍टन की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑनलाइन मार्केटप्‍लेस नकली और तस्‍करी द्वारा लाए गए प्रोडक्‍ट्स की बिक्री का एक पसंदीदा हब बन गया है।

Dharmender Chaudhary
Published : January 17, 2016 7:49 IST
Be careful: नकली और तस्‍करी का सामान बिक रहा है ऑनलाइन, इकोनॉमी के साथ राष्‍ट्रीय सुरक्षा के लिए है खतरा
Be careful: नकली और तस्‍करी का सामान बिक रहा है ऑनलाइन, इकोनॉमी के साथ राष्‍ट्रीय सुरक्षा के लिए है खतरा

नई दिल्‍ली। हममें से अधिकांश लोग ऑनलाइन प्रोडक्‍ट खरीदना पसंद करते हैं और हमें भरोसा होता है कि ये असली हैं और बेहतर कीमत पर उपलब्‍ध हैं। हालांकि, ऐसी बात नहीं है। क्‍या आप इसे पढ़कर आर्श्‍चयचकित हो गए। तो आगे पढि़ए। उद्योग संगठन फि‍क्‍की और ग्रांट थॉरन्‍टन की एक रिपोर्ट के मुताबिक ऑनलाइन मार्केटप्‍लेस नकली और तस्‍करी द्वारा लाए गए प्रोडक्‍ट्स की बिक्री का एक पसंदीदा हब बन गया है। ऐसा इसलिए है क्‍योंकि भारत में उपभोक्‍ताओं की रक्षा के लिए कोई विशिष्‍ट ई-कॉमर्स कानून नहीं है। इस रिपोर्ट में यह भी कहा गया है कि इस तरह की गतिविधयां न केवल इकोनॉमी के लिए खतरा हैं, बल्कि इससे राष्‍ट्रीय सुरक्षा को भी नुकसान पहुंच रहा है।

हमारी इकोनॉमी और राष्‍ट्रीय सुरक्षा पर खतरा

देश की प्रत्‍येक इंडस्‍ट्री और सेक्‍टर तस्‍करी और नकली सामान की समस्‍या से परेशान है। लेकिन पैकेज्‍ड फूड्स, टोबेको, पर्सनल गुड्स, एल्‍कोहोलिक बेवरेजेस सहित एफएमसीजी सेक्‍टर और मोबाइल फोन इस समस्‍या से सबसे ज्‍यादा ग्रसित है। इससे इंडस्‍ट्री और सरकार को अरबों रुपए का नुकसान हो रहा है। रिपोर्ट में कहा गया है कि मौजूना कानूनों का कढ़ाई से पालन के लिए अपर्याप्‍त संसाधन, विशिष्‍ट ई-कॉमर्स कानून की कमी, नकली प्रोडक्‍ट्स के बारे में उपभोक्‍ताओं में जागरुकता की कमी और पड़ोसी देशों में टैक्‍स का भारी अंतर नकली और तस्‍करी सामान को बढ़ावा देने के मुख्‍य कारण हैं।

नकली और तस्‍करी से न केवल वास्‍तविक मैन्‍यूफैक्‍चरर्स और इंडस्‍ट्री को रेवेन्‍यू का नुकसान होता है, बल्कि इससे सरकार को ड्यूटी और लेवी का भी नुकसान होता है। इतना ही नहीं इससे मैन्‍यूफैक्‍चरर्स के ब्रांड पर उपभोक्‍ताओं का भरोसा भी कम होता है। उपभोक्‍ता भी निम्‍त गुणवत्‍ता वाले नकली उत्‍पादों के लिए भारी कीमत चुकाते हैं। नकली और तस्‍करी वाले उत्‍पादों की बिक्री से मिलने वाले धन का उपयोग देश में आतंकी गतिविधियों में भी इस्‍तेमाल किए जाने की संभावना रहती है।

ग्रांट थॉरन्‍टन इंडिया एलएलपी के पार्टनर विद्या राजाराव कहते हैं कि भारत में अवैध व्‍यापार कुछ शहरों या क्षेत्र तक ही सीमित नहीं है। नकली सामान बेचने वालों के बीच ई-कॉमर्स इन दिनों एक नया चैनल है, जिसकी मदद से वह अधिक से अधिक लोगों तक आसानी से पहुंच सकते हैं। भारत में ऑनलाइन शॉपिंग का चलन बहुत तेजी से बढ़ा है और उसी तेजी से यह नकली सामान बेचने के लिए भी सबसे पसंदीदा स्‍थल बन चुका है।

नकली उत्‍पादों को रोकना जरूरी

नकली उत्‍पादों को बिक्री से रोकना आसान नहीं है। उपभोक्‍ता जागरुकता बढ़ाना, नकली विरोधी नवीनतम तकनीक को अपनाना, कानूनी तंत्र को पुर्नगठित करना और रिसर्च तथा डेवलपमेंट में निवेश नकली सामानों की बिक्री से लड़ने में मददगार हो सकता है। फि‍क्‍की के जनरल सेक्रेटरी ए दीदार सिंह कहते हैं कि मेक इन इंडिया से इकोनॉमिक डेवलपमेंट आया है और इससे बहुत अधिक ग्रोथ मिलने की उम्‍मीद है ऐसे में अवैध व्‍यापार को कैसे रोका जा सकता है इस पर ध्‍यान देने की जरूरत है। रिपोर्ट में सुझाव दिया गया है कि अवैध व्‍यापार को रोकने के लिए एक नोडल सरकारी एजेंसी की स्‍थापना की जानी चाहिए जो राष्‍ट्रीय प्रयासों और इंटेलीजेंस के बीच कोऑर्डीनेशन का काम करे।

सरकार को उपभोक्‍ता संरक्षण और अवैध कारोबार को रोकने के लिए ई-कॉमर्स हेतु विशिष्‍ट कानून बनाने में अभी थोड़ा वक्‍त लगेगा। ऐसे में तब तक आप अपने आप को इससे कैसे बचा सकते हैं, इसके लिए हमारा सुझाव होगा कि ऑनलाइन शॉपिंग करते वक्‍त आप उसी सेलर से प्रोडक्‍ट खरीदें जिसकी लोकप्रिय ऑनलाइन कंपनी पर रेटिंग हाई पॉजीटिव हो।

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