नई दिल्ली: देश में प्याज की कालाबाजारी हो रही है या नहीं यह बात पता करने के लिए आपको कोई खोजी पत्रकार होने की जरूरत नहीं। बस सरसरी निगाह से सरकारी आंकड़ों को ही पढ़ लीजिए तो दाल में कुछ काला होने का आभास हो जाएगा। आंकड़े बताते हैं कि देश में प्याज का उत्पादन खपत से कहीं ज्यादा है लेकिन इसके बावजूद इस सीजन में कीमतें 250 फीसदी तक उछल गई। मई में 1198 रुपए प्रति क्विंटल बिकने वाला प्याज सितंबर आते आते 4139 रुपए प्रति क्विंटल तक पहुंच गया। और कीमतों में यह 250 फीसदी का उछाल भी तब जब उत्पादन पिछले साल में मामूली 2.47 फीसदी ही गिरा।
कृषि अर्थशास्त्री देवेंद्र शर्मा ने IndiaTvPaisa.com से खास बातचीत में बताया कि देश में खपत के मुकाबले उत्पादन ज्यादा है। इसके बावजूद कीमतें चढ़ रही हैं। इसका साफ मतलब है प्याज की कालाबाजारी और जमाखोरी हो रही है। देश में सालाना 190 लाख टन के आसपास प्याज का उत्पादन हो रहा है। जबकि खपत 125-130 लाख टन होती है। अगर सरकार इसपर काबू पा ले तो कीमतें अपने आप कम हो जाएंगी।
(कीमत एशिया की सबसे बड़ी प्याज मंडी लासलगांव (महाराष्ट्र) की है)
आयात के बाद भी महंगा प्याज
इस साल देश में रिकॉर्ड प्याज आयात की आशंका है। मिस्त्र के अधिकारियों के मुताबिक पिछले दो महीने (अगस्त-सितंबर) के दौरान भारत ने 18,000 टन प्याज आयात किया है। इसके अलावा 18,000 टन प्याज आने वाले दिनों में और आयात कर सकता है। मिस्त्र के अलावा अफगानिस्तान से भी कारोबारी प्याज आयात कर रहें है। सरकार की तमाम कोशिशों के बावजूद प्याज की कीमतें 60-70 रुपए प्रति किलो के भाव बिक रहा है।