नई दिल्ली। देश में प्याज की बढ़ती हुई कीमतों को देखते हुए सरकार ने कदम उठाया है। प्याज निर्यात की पॉलिसी में बदलाव करते हुए सरकार ने अब इसके निर्यात को मुक्त श्रेणी से हटाकर निषेध श्रेणी में डाल दिया है।प्याज की सभी किस्मों के निर्यात पर अब रोक लग गई है। पिछले कुछ दिनों से खुदरा बाजार में प्याज की कीमतों में लगातार बढ़ोतरी देखने को मिली है और आगे त्यौहारी सीजन में प्याज और महंगा न हो इसके लिए सरकार ने इसके निर्यात की नीति में बदलाव किया है।
नए नियम प्याज की सभी किस्म पर लागू होंगे। मीडिया में आई खबरों के मुताबिक कोरोना संकट के दौरान बड़ी मात्रा में प्याज का निर्यात किया गया था। 2020-21 में अप्रैल से जून के दौरान ही कुल 19.8 करोड़ डॉलर मूल्य का प्याज निर्यात किया गया है। जबकि पूरे 2019-20 में 44 करोड़ डॉलर मूल्य का प्याज निर्यात किया गया था। बांग्लादेश, मलेशिया, यूएई, औक श्रीलंका भारतीय प्याज के सबसे बड़े आयातक देश हैं। घरेलू बाजार में प्याज की सप्लाई को बनाए रखने के लिए ही सरकार ने निर्यात पर प्रतिबंध लगाए हैं।
प्याज की रिटेल कीमतों की बात करें तो पिछले कुछ दिनों से भाव लगातार बढ़ना शुरू हो गए हैं। उपभोक्ता मंत्रालय के मुताबिक देश की राजधानी दिल्ली में सितंबर के दौरान ही प्याज की कीमतों में 16 रुपए प्रति किलो की बढ़ोतरी हो चुकी है। पहली सितंबर को दिल्ली में प्याज का भाव 25 रुपए था जो अब बढ़कर 41 रुपए हो गया है। इसी तरह हिमाचल, गुजरात, पंजाब, महाराष्ट्र, बिहार, ओडिशा, तमिलनाडू और पूर्वोत्तर के राज्यों के कुछ शहरों में सितंबर के दौरान प्याज की कीमतों में 10-15 रुपए प्रति किलो की बढ़ोतरी हुई है।
हालांकि फसल वर्ष 2019-20 के दौरान देश में प्याज की रिकॉर्ड उपज हुई है और सप्लाई पर्याप्त रहने की संभावना है लेकिन इसके बावजूद खुदरा बाजार में प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी देखी जा रही है। कृषि मंत्रालय के मुताबिक फसल वर्ष 2019-20 के दौरान देश में रिकॉर्ड 267.38 लाख टन प्याज का उत्पादन हुआ है जबकि 2018-19 के दौरान 228.19 लाख टन प्याज पैदा हुआ था।