नई दिल्ली। प्याज उपभोक्ताओं के लिए यह खबर अच्छी हो सकती है लेकिन प्याज किसानों को इस खबर से कुछ निराशा भी हो सकती है क्योंकि देश से प्याज का निर्यात करीब 2 साल के निचले स्तर तक लुढ़क गया है। दिवाली के बाद देश में जब प्याज की कीमतों में बढ़ोतरी हुई थी तो सरकार ने प्याज निर्यात पर न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त लगाई थी जिस वजह से प्याज का मासिक निर्यात 2 साल के निचले स्तर तक लुढ़क गया है।
2 साल बाद मासिक एक्सपोर्ट 1 लाख टन से कम
आंकड़ों के मुताबिक नवंबर के दौरान देश से सिर्फ 92944 टन प्याज का निर्यात हो पाया है, नवंबर 2015 के बाद ऐसा पहली बार हुआ है कि मासिक निर्यात 1 लाख टन से नीचे फिसला हो। नवंबर से पहले अक्टूबर के दौरान देश से 1.75 लाख टन प्याज का निर्यात हुआ था। आंकड़ों के मुताबिक चालू वित्त वर्ष 2017-18 के पहले 8 महीने यानि अप्रैल से नवंबर 2017 के दौरान देश से 17.72 लाख टन प्याज का निर्यात हो पाया है।
नवंबर में लगाई थी न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त
नवंबर से पहले देश से प्याज निर्यात में लगातार बढ़ोतरी हो रही थी और घरेलू स्तर पर प्याज की कीमतों में इजाफा देखने को मिला था जिस वजह से निर्यात पर लगाम लगाने के लिए सरकार ने नवंबर में ही प्याज निर्यात पर 850 डॉलर प्रति टन न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त लगाई थी। सरकार के इस कदम से निर्यात घटने लगा और कीमतों में भी नरमी आना शुरू हुई। बाद मे सरकार ने जनवरी 2018 में न्यूनतन निर्यात मूल्य को घटाकर 700 डॉलर किया था और करीब 25 दिन पहले न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त को पूरी तरह से खत्म कर दिया था।
भाव पर आया दबाव
लेकिन कारोबारी सूत्रों का कहना है कि न्यूनतम निर्यात मूल्य की शर्त हटने के बावजूद निर्यात में इजाफा नहीं हो पा रहा है जिस वजह से कीमतों पर दबाव आया है। प्याज के कारोबार के लिए देशभर में सबसे बड़ी मंडी महाराष्ट्र के लासलगांव में इसका भाव 1300-1400 रुपए प्रति क्विंटल आ गया है जो करीब 6 महीने में सबसे कम भाव है।