नई दिल्ली। देश की प्रमुख तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी ओएनजीसी ने बुधवार को कहा कि वह अपेक्षाकृत कम संभावना वाले क्षेत्रों में उन फील्डों के लिये विदेशी भागीदार चाह रही है जिसका अभी विकास होना है। सार्वजनिक क्षेत्र की कंपनी ने कहा कि पेट्रोलियम मंत्रालय के साथ चल रही उसकी मौजूदा चर्चा में कोई नई बात नहीं है और न ही इसके पीछे की मंशा कंपनी की भूमिका या विस्तार को कम करना है। खबर के अनुसार पेट्रोलियम और प्राकृतिक गैस मंत्रालय ने ऑयल एंड नेचुरल गैस कॉरपोरेशन (ओएनजीसी) से उत्पादन बढ़ाने के लिये उत्पादक फील्डों में हिस्सेदारी निजी कंपनियों को बेचने, केजी बेसिन गैस फील्ड में विदेशी भागीदारों को लाने, मौजूदा ढांचागत सुविधाओं को बाजार पर चढ़ाने और ड्रिलिंग तथा अन्य सेवाओं को अलग कंपनी में स्थानांरित करने को कहा है।
ओएनजीसी ने एक बयान में कहा, ‘‘कंपनी अपनी विदेशी इकाई के जरिये प्रमुख अंतरराष्ट्रीय कंपनियों के साथ रणनीतिक संबंधों तथा मजबूत भागीदारी पर भी गौर कर रही है।’’ उसने कहा, ‘‘श्रेणी दो और श्रेणी तीन के बेसिन में संभावना टटोलने को लेकर विदेशी भागीदारी को आमंत्रित करने की योजना है। इन बेसिनों का आकार और पैमाना इन बड़ी कंपनियों की अपेक्षाएं और पार्टफोलियो के अनुरूप है।’’ ओएनजीसी ने बयान में कहा, ‘‘मंत्रालय के साथ चर्चा न तो कोई नई बात है और न ही इसमें ओएनजीसी की भूमिका और वृद्धि को रोकने की कोई मंशा है।’’ बयान के अनुसार, ‘‘वास्तव में जारी चर्चा के दौरान ओएनजीसी के लिये उन मुद्दों को उठाने का अवसर मिला जो कंपनी के लिये सभी संबंद्ध पक्षों को अच्छा मूल्य देने के लिये महत्वपूर्ण है।’’ ‘‘गैस कीमत लाभकारी नहीं होने के बावजूद, ओएनजीसी पूर्वी तट में गहरे सागर स्थित तथा पश्चिमी तट पर उथले जल क्षेत्र में अपनी परियोजनाओं को आगे बढ़ा रही है।’’
बयान में कहा गया है, ‘‘ओएनजीसी की खुला क्षेत्र लाइसेंसिंग नीति (ओएएलपी) के तहत और बड़ा क्षेत्र लेने की योजना है।’’ कंपनी ने कहा, ‘‘ढांचे को लेकर कुछ मुद्दे हैं, जहां उद्योग के पूर्ण रूप से जीएसटी व्यवस्था में आने के बाद ही निर्णायक कदमों का मूल्यांकन किया जा सकता है।’’ पेट्रोलियम माल एवं सेवा कर (जीएसटी) के दायरे से बाहर है और परिचालकों को राज्यों में वैट देने पड़ते हैं।