नई दिल्ली। तेल एवं गैस उत्पादक कंपनी ओएनजीसी ने गैस की कीमत में भारी कमी के बीच सरकार से राहत की अपील की है। कंपनी ने टैक्स में कमी करने और गैस की कीमत तय करने और बेचने की आजादी मांगी है ताकि उसका कारोबार ठीक से चल सके। कंपनी का कहना है कि देश में पैदा खनिज गैस का दाम कम होने से उसके लिए कारोबार चला पाना कठिन हो गया है और इसका उसकी निवेश योजनाओं पर असर पड़ सकता है।
सूत्रों के मुताबिक तेल और गैस की कीमतें रिकॉर्ड निचले स्तर पहुंच चुकी है जिससे कंपनी को हर महीने नुकसान उठाना पड़ रहा है। सूत्रों के मुताबिक गैस की कीमतें उसकी लागत से भी कम हैं। ऐसे में ऊंचे कर से सिर्फ गैस पर ही नकदी का नुकसान नहीं हो रहा बल्कि तेल के उत्पादन पर भी असर पड़ा है।
अंतरराष्ट्रीय बाजार में तेल की कीमतें 20 डॉलर प्रति बैरल के स्तर तक गिर चुकी हैं। वहीं देश में प्राकृतिक गैस की कीमतें 2.39 डालर प्रति दस लाख मीट्रिक ब्रिटिश थर्मल यूनिट के दस साल के न्यूनतम स्तर पर आ गई हैं।
सार्वजनिक क्षेत्र की तेल एवं प्राकृतिक गैस निगम (ओएनजीसी) ने पिछले महीने सरकार को लिखा था कि यदि कच्चे तेल की कीमत 45 डॉलर प्रति बैरल से नीचे आ जाएं तो तेल पर लगाए जाने वाले उपकर को हटा लिया जाए। इसके अलावा कंपनी ने राज्य सरकारों को कीमत पर दी जाने वाली 20 प्रतिशत रॉयल्टी को भी आधी करने की मांग रखी थी। मौजूदा वक्त में कंपनी को जो तेल की कीमत मिलती है उस पर सरकार को 20 प्रतिशत का मूल्य-उपकर देना होता है। साथ ही जिस राज्य में वह तेल खनन का काम करती है उस राज्य सरकार को कच्चे तेल की कीमत पर 20 प्रतिशत की रॉयल्टी देनी होती है।