नई दिल्ली। सरकार ने कंपनियों को एक ही उत्पाद को अलग-अलग एमआरपी (अधिकतम खुदरा मूल्य) पर बेचने से प्रतिबंधित कर दिया है। यह उन ग्राहकों के लिए अच्छी खबर है, जो एयरपोर्ट, मॉल्स और सिनेमाघरों में एमआरपी से अधिक मूल्य पर की जाने वाली बिक्री के खिलाफ शिकायत करते हैं। यह निर्देश लीगल मैट्रोलॉजी (पैकेज्ड कमोडिटीज) नियम 2011 में हुए परिवर्तनों का हिस्सा है, जो 1 जनवरी 2018 से प्रभावी होगा।
लीगल मैट्रोलोजी से जुड़े एक अधिकारी ने कहा कि हम निर्माताओं को इस निर्देश का पालन करने के लिए पर्याप्त समय दे रहे हैं। डिपार्टमेंट ऑफ कंज्यूमर्स ने कहा कि हमने बड़े पैमाने पर किए गए विचार-विमर्श के बाद संतुलित दृष्टिकोण अपनाया है। नियमों के कार्यान्वयन के अनुभव और स्टेकहोल्डर्स से चर्चा के बाद विभाग ने उपभोक्ताओं के संरक्षण के उद्देश्य से नियमों में संशोधन किया है। इसके साथ ही व्यापार करने में आसानी की जरूरत को भी संतुलित किया गया है।
नियमों में यह उल्लेख किया गया है कि कोई भी कंपनी किसी भी प्रोडक्ट पर अलग-अलग एमआरपी घोषित नहीं करेगी। किसी कानून के तहत अनुमति मिलने पर ही दोहरी एमआरपी लिखी जा सकेगी। इससे बड़े पैमाने पर उपभोक्ताओं को लाभ होगा क्योंकि वे सिनेमा हॉल, एयरपोर्ट, मॉल्स और होटल आदि जैसे विभिन्न सार्वजनिक स्थानों पर वस्तुओं की दोहरी एमआरपी के बारे में शिकायत कर रहे हैं।
रेस्टोरेंट के मालिकों ने कहा कि यह नियम उन पर लागू नहीं होंगे क्योंकि वे जीएसटी के तहत सप्लायर सर्विस की श्रेणी में आते हैं। नेशनल रेस्टोरेंट एसोसिएशन ऑफ इंडिया के सचिव राहुल सिंह ने कहा कि नया नोटिफिकेशन रिटेल सेवाओं के लिए लागू होता है, जहां ग्राहक काउंटर से खरीदारी करते हैं।
सरकार ने यह आदेश भी दिया है कि डिक्लेरेशन में अक्षरों और अंकों के आकार को बढ़ाया जाना चाहिए, ताकि उपभोक्ता उन्हें आसानी से पढ़ सकें। उपभोक्ता मामलों के विभाग ने यह भी आदेश दिया है कि चिकित्सा उपकरणों जैसे कि स्टेंट, वॉल्व, आर्थोपेडिक इम्प्लांट्स, सिरिंज और ऑपरेशन के लिए टूल पर एमआरपी को लिखना होगा।
ई-कॉमर्स कंपनियों को भी लिखना होगा एमआरपी
नियमों में यह भी कहा गया है कि अगले साल से ई-कॉमर्स कंपनियों को अपने उत्पादों पर एमआरपी के साथ ही उस प्रोडक्ट के बनने के स्थान का भी उल्लेख करना अनिवार्य होगा। इसके अलावा अन्य महत्वपूर्ण जानकारी भी देनी होगी।