लखनऊ। उत्तर प्रदेश सरकार अपनी बहुचर्तित योजना 'एक जिला, एक उत्पाद' (ओडीओपी) को प्रदेश के 75 जिलों में और तेजी से बढ़ावा देगी। इसके लिए हर माह एक उद्यमी सम्मेलन कराए जाने का निर्णय लिया है और इसके लिए पूरी तैयारी की जा रही है। सूक्ष्म, लघु एवं मध्यम उद्यम विभाग (एमएसएमई) के प्रमुख सचिव नवनीत सहगल ने बताया कि एक जिला, एक उत्पाद योजना को और ज्यादा विस्तारित और प्रचारित करने के लिए सितंबर माह से प्रत्येक जिले में उद्यमी सम्मेलन कराया जाएगा। इसमें उनके जिले उत्पाद बेचने और बनाने में क्या दिक्कत हो रही है, इस बारे में जाना जाएगा।
उन्होंने बताया कि ओडीओपी समस्याएं और उनको सुझाव देने के साथ स्थानीय लोगों को बढ़ावा दिया जाना है। फिलहाल हर जिले में काम हो रहा है। इसके अलावा एक बड़ा सम्मेलन लखनऊ में कराया जाएगा। सरकार की मंशा है कि इस योजना से लोगों को हर जिले में रोजगार मिल जाए। उन्हें रोजगार के लिए प्रदेश से बाहर जाकर परेशान न होना पड़े।
प्रमुख सचिव ने कहा कि प्रत्येक जिले के उत्पाद को और बेहतर बनाने के लिए डिजाइन ट्रेनिंग संस्थान भी खोले जाने की योजना है। इसमें आगे चलकर जिले के प्रसिद्ध दूसरे स्तर के उत्पादों को भी शामिल किया जाना है। इसके अलावा हर जिले में प्रदर्शनी और मेलों का आयोजन किया जाना है, ताकि ज्यादा से ज्यादा लोग इसे जान और समझ सकें।
सहगल ने कहा कि विभिन्न जिलों के चिन्हित विशिष्ट उत्पादों के उत्पादन से लेकर विपणन तक के लिए कच्चा माल, डिजाइन, उत्पादन प्रक्रिया, गुणवत्ता सुधार, अनुसंधान एवं विकास, पर्यावरण, ऊर्जा संरक्षण तथा पैकेजिंग आदि की सुविधा देने के लिए सभी जिलों में सीएफसी स्थापित किए जाएंगे।
प्रमुख सचिव ने कहा कि सभी जिलों में सीएफसी की स्थापना के लिए एजेंसी के माध्यम से बेसलाइन सर्वे कराया जा रहा है। सामान्य सुविधा केंद्रों के माध्यम से टेस्टिंग लैब, डिजाइन डेवलपमेंट एंड ट्रेनिंग सेंटर, तकनीक अनुसंधान एवं विकास केंद्र, उत्पादन प्रदर्शन सह विक्रय केंद्र, कॉमन प्रोडक्शन प्रोसेसिंग सेंटर, सामान्य लॉजिस्टिक सेंटर, सूचना संग्रह विश्लेषण एवं प्रसारण केंद्र तथा पैकेजिंग, लेबलिंग एवं बारकोडिंग की सुविधाएं उपलब्ध कराई जाएंगी। सामान्य सुविधा केंद्रों की स्थापना, संचालन एवं रख-रखाव एसपीवी (स्पेशल पर्पज व्हिकल) द्वारा किया जाएगा।
'एक जिला, एक उत्पाद' योजना उत्तर प्रदेश सरकार की महत्वाकांक्षी परियोजना है। इसका उद्देश्य प्रदेश की उन विशिष्ट शिल्प-कलाओं एवं उत्पादों को प्रोत्साहित किया जाना है जो देश में कहीं और उपलब्ध नहीं हैं। जैसे आगरा का चमड़ा उद्योग, अलीगढ़ के ताले, आजमगढ़ के काली मिट्टी के बर्तन,अमेठी का मूंज उद्योग,भदोही की कालीन-दरी, गोरखपुर का टेरीकोटा, कन्नौज का इत्र, मेरठ की खेल सामग्री, मुजफ्फरनगर का गुड़, पीलीभीत की बांसुरी ऐसे उत्पाद हैं, जिनसे स्थान विशेष की पहचान होती है।