नई दिल्ली। सरकार अनुसूचित जाति, अनुसूचित जनजातियों और अन्य पिछड़ा वर्गों के विद्यार्थियों के छात्रावासों को बीपीएल दर पर प्रति छात्र 15 किलो गेहूं अथवा चावल प्रति माह उपलब्ध कराएगी। यह योजना ऐसे छात्रावासों में भी लागू की जाएगी जहां कम से कम दो-तिहाई छात्र इन वर्गो के हों। योजना का लाभ अनुमानित तौर पर लगभग 1 करोड़ छात्रों को मिलेगा और इससे सरकारी खजाने पर सालाना 4,000 करोड़ रुपए का बोझ आने का अनुमान है। यह पहल ऐसे समय में की गई है जब कि आगामी चुनावों के मद्देनजर विभिन्न राजनीतिक दल दलितों एवं अन्य पिछड़े वर्गों के लोगों को लुभाने में लगे हैं।
इस साल कर्नाटक, राजस्थान, छत्तीसगढ़ और मध्य प्रदेश में विधान सभा के चुनाव होने है। आम चुनाव अगले साल लगभग इसी समय कराए जाने हैं। इस फैसले की घोषणा करते हुए खाद्य मंत्री रामविलास पासवान ने सोमवार को कहा कि सरकार अनुसूचित जाति, जन जाति एवं पिछड़ा वर्ग के छात्रावासों में गरीब परिवारों (बीपीएल) के राशन की दरों पर अनाज दिया जाएगा। इसके तहत गेहूं 4.15 रुपए प्रति किलो और चावल के लिए 5.65 रुपए प्रति किलो के भाव पर दिया जाता है।
उन्होंने कहा कि अम्बेडकर छात्रावास में, जहां सभी छात्र अनुसूचित जाति एवं अनुसूचित जनजाति से संबंधित हैं, प्रत्येक छात्र को बीपीएल दरों पर प्रति माह 15 किलो गेहूं या चावल मिलेगा।
पासवान ने कहा कि अन्य सभी हॉस्टल में, चाहे वह सरकारी या निजी हो, जहां दो तिहाई छात्र अल्पसंख्यकों के बीच एससी, एसटी, ओबीसी और अल्पसंख्यकों में ओबीसी वर्ग से हैं, उन्हें भी बीपीएल दरों पर प्रति माह प्रति छात्र 15 किलो गेहूं या चावल मुहैया कराए जाएंगे। ऐसे छात्रावासों में, सामान्य श्रेणी के छात्रों को भी सब्सिडी पर अनाज मिलेगा। सभी लड़कियों के छात्रावास भी सब्सिडी वाले खाद्यान्नों के लिए हकदार होंगे।
इसे ऐतिहासिक निर्णय बताते हुए मंत्री ने कहा कि इस योजना से करीब एक करोड़ छात्रों को फायदा होने का अनुमान है।
उन्होंने कहा कि केंद्र सरकार इस योजना की पूरी लागत सहन करेगा लेकिन उन्होंने केंद्रीय खजाने पर सब्सिडी के लिए आने वाले बोझ के बारे में कुछ खुलासा नहीं किया। हालांकि, सूत्रों ने कहा कि सब्सिडी का बोझ करीब 4,000 करोड़ रुपए हो सकता है।
पासवान ने राज्यों से जल्द से जल्द लाभार्थियों की सूची प्रदान करने को कहा है ताकि योजना को शुरू किया जा सके। राष्ट्रीय खाद्य सुरक्षा अधिनियम (एनएफएसए) के तहत, केंद्र सरकार देश के 80 करोड़ से अधिक लोगों को अत्यधिक सब्सिडी वाले अनाज प्रदान करती है। प्रत्येक व्यक्ति को प्रति माह 5 किलो अनाज मिलता है जिसकी दर एक से तीन रुपये प्रति किलो है, जिससे राजकोष पर सालाना 1.5 लाख करोड़ रुपए का खर्च आता है।